
नईदुनिया प्रतिनिधि, सुकमा। पिछले दो साल से लगातार माओवाद संगठन पर केंद्र व राज्य सरकार हर मोर्चो पर वार कर रही है। जहां एक और विकास की किरणें उन इलाकों में पहुंचाई जा रही है जहां कभी माओवाद नाम का अंधेरा हुआ करता था। मुठभेड़ों के अलावा बड़े लीडर आत्मसमर्पण कर रहे है, लेकिन हिड़मा की मौत के बाद संगठन पूरा टूट चुका है। बटालियन का कमांडर बारसे देवा अपने साथियों के साथ आत्मसमर्पण करना चाहता है लेकिन वो पुरी तरह कन्फ्यूज्ड हो गया है, कि आखिरकार करे तो कहां करे और किसके माध्यम से करे।
पिछले दो दिनों से देवा समेत दर्जनों माओवादियों के आत्मसमर्पण की खबरें आ रही थी, और लगभग तय भी था लेकिन ऐन वक्त पर किसी कारण से आत्मसमर्पण टल गया लेकिन आने वाले दिनों में कभी भी हो सकता है। मंगलवार सुबह खबर मिली थी कि खूंखार माओवादी नेता हिड़मा मुठभेड़ में मारा गया, संभवत उसी दिन या फिर अगले दिन पीएलजीए बटालियन का कमांडर बारसे देवा ने कुछ लोगों से संपर्क किया और आत्मसमर्पण करने की इच्छा जाहिर की।
उसके बाद तेजी से कई घटनाक्रम बदला, तेलंगाना में माओवादी शीर्ष नेता आजाद के साथ 37 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने एनंकाउंटर को लेकर सवाल खड़े किए। खैर अब बारसे देवा आत्मसमर्पण तो करना चाहता है लेकिन वो पुरी तरह कन्फ्यूज्ड हो गया है। क्योंकि छत्तीसगढ़ पुलिस भी लगी है कि वो यहां आत्मसमर्पण करें और सीमावर्ती प्रदेश की पुलिस और खुफिया विभाग भी लगा हुआ है कि वो यहां आत्मसमर्पण करे।
खास बात यह है कि कुछ पत्रकार और स्थानीय नेताओं के साथ समाज के भी लोग लगे हुए है कि वो हमारे माध्यम से आत्मसमर्पण करे। इस तरह बारसे देवा और उनके साथी पुरी तरह कन्फ्यूज्ड हो गए है कि आखिरकार कहां और किस माध्यम से आत्मसमर्पण करे ताकि सुरक्षित रह सके और शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके। अब देखना यह होगा कि वो आत्मसमर्पण कहां और किस माध्यम से करते है।
सूत्रों की मानें तो शनिवार को बारसे देवा और उनके साथियों के आत्म समर्पण की लगभग तैयारी हो गई थी। लेकिन ऐन वक्त पर कुछ कारण से ये आत्म समर्पण टल गया। बताया जाता है कि आगामी एक-दो दिन में कभी भी आत्म समर्पण हो सकता है। और इस खबर को उस वक्त और हवा लगी तब प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा का अचानक सुकमा दौरा हुआ।