- एक काबाईन, दो पिस्तौल के अलावा मैगजीन व गोलियां बरामद
- उदयवीर ने ही पुरानी रंजिश के चलते दिया था वारदात को अंजाम
नईदुनिया ब्यूरो, नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूर्व विधायक भरत सिंह की हत्या की गुत्थी को सुलझाते हुए मुख्य आरोपी उदयवीर उर्फ काले व तीन शार्प शूटर सहित कुल पांच बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक पुरानी रंजिश के चलते ही उदयवीर ने वारदात को अंजाम दिया था। गिरोह के पास से एक काबाईन, दो पिस्तौल के अलावा मैगजीन व गोलियां बरामद हुई हैं।
संयुक्त पुलिस आयुक्त रवीन्द्र यादव ने बताया कि 29 मार्च को हुई भरत सिंह की हत्या के बाद से ही उसके विरोधी गिरोह से जुड़ा उदयवीर फरार था। सूचना मिली कि उदयवीर बाहरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में छिपा हो सकता है। पुलिस की एक टीम ने अलीपुर के सिरसपुर गांव से उदयवीर उर्फ काले (40) व वारदात में शामिल शार्प शूटर नजफगढ़ निवासी प्रधान सुनील (25), राजस्थान के झुंझनू निवासी पहलवान सुबे (23) को धर दबोचा। तीनों की निशानदेही पर वारदात में शामिल सोनीपत निवासी मोहित नागर (21) नामक शार्प शूटर को तथा षड्यंत्र में शामिल रहे रमन गुरंग (43) को भी धर दबोचा। रमन पंजाब पुलिस में बतौर एएसआई काम कर चुका है। वर्तमान में वह उदयवीर का निजी सुरक्षाकर्मी है। पूछताछ में पता चला कि इस वारदात में उदयवीर का भतीजा हेमंत, नितिन, रवि उर्फ चूजा, मोनू उर्फ चांद, रवि व दीवा शामिल थे।
वारदात के वक्त उदयवीर अपने घर पर था
पुलिस के मुताबिक 29 मार्च को सभी बदमाश मित्राऊ गांव में उदयवीर के घर पर इकट्टा हुए थे। जहां वारदात का खाका तैयार किया गया। हेमंत ने सभी बदमाशों को पिस्तौल मुहैया कराई, जिसके बाद नितिन और रवि बाइक पर बैठकर अभिनंदन वाटिका पहुंचे। हेमंत अन्य बदमाशों के साथ स्कोर्पियो गाड़ी में वहां गया। यह स्कोर्पियो हेमंत के रिश्तेदार अमित की थी। उदयवीर शूटआउट में शामिल नहीं हुआ। वारदात के वक्त वह अपने घर पर ही मौजूद रहा। बताया जाता है कि अभिनन्द वाटिका से 100 मीटर की दूरी पर स्थित अनाज मंडी में सभी इकठ्ठे हुए। हेमंत ने नितिन और मोनू को समारोह स्थल पर जाकर भरत सिंह की मौजूदगी को सुनिश्चित करने के लिए कहा। नितिन ने फोन कर हेमंत को भरत सिंह की मौजूदगी की पुष्टि की, जिसके बाद सभी बदमाश अभिनन्द वाटिका पहुंचे और अंदर जाते ही उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
चार हमलावरों को भी लगी थी गोली
फायरिंग शुरू होते ही भरत सिंह के पीएसओ व अन्य सुरक्षाकर्मियों ने भी जवाबी फायरिंग की। दोनों तरफ से चली गोलियां में उदयवीर के भतीजे हेमंत सिंह व अन्य बदमाश प्रधान सुनील, रवि उर्फ चूजा व डीवा को भी गोलियां लगी। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी मित्राऊ गांव में मंजीत महल नामक शख्स के घर इकट्ठे हुए, जहां से वे दिल्ली से बाहर फरार हो गए।
सीने में धधक रही थी बदले की आग
नजफगढ़ के मित्राऊ गांव व दिजाऊ गांव में दुश्मनी दो दशक से भी पुरानी है। वर्ष 2002 में भरत सिंह के बड़े भाई किशन पहलवान ने उदयवीर के पिता सूरजमल, सुखवीर व परिवार के बुजुर्ग नारायण सिंह की सोनीपत में एक समारोह के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिस समय इस वारदात को अंजाम दिया गया हेमंत महज नौ साल का था। उदयवीर ने पूछताछ में बताया कि बचपन से ही हेमंत के मन में पिता सुखवीर की हत्या का बदला लेने की आग लगी हुई थी। बीते कुछ वर्षों में हुई गतिविधियों ने हेमंत के उसके गुस्से को और भड़का दिया। वर्ष 2009 में उदयवीर ने नजफगढ़ में तीन एकड़ सरकारी जमीन खरीदने की कोशिश की थी। कानूनन इस जमीन को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता था। किशन पहलवान को जब इस बात की जानकारी मिली तो उसने पुलिस से संपर्क कर उदयवीर पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवा दिया था। उदयवीर और हेमंत को वर्ष 2012 में किशन पहलवान से बदला लेने का बड़ा मौका मिला। जून माह में उदयवीर ने साथी विक्की और कुलदीप की मदद से किशन के भाई भरत सिंह पर हमला करवाया। हालांकि, इसमें भरत सिंह घायल तो हुआ, परन्तु उसकी जान बच गई थी। इस वारदात में इस्तेमाल हथियारों का इंतजाम हेमंत ने ही करवाया था।