वीरेंद्र तिवारी (संपादकीय प्रभारी ग्वालियर)। मप्र में वन भूमि को हाथ लगाना भी अपराध है। इतना स्पष्ट और कड़ा वन कानून होने के बावजूद हमारे वन सुरक्षित नहीं हैं। लाखों हेक्टेयर भूमि कहने को तो वनभूमि हैं, लेकिन अंधाधुंध कटाई से उसमें हरियाली का प्रतिशत न के बराबर रह गया है या कहें कि जमीन बंजर होना शुरू हो गई है।
इन पर वन कैसे लहलहाएंगे। हमें कुछ तो ऐसा करना होगा, जिससे वनों को लगाना और उनकी रक्षा करना लोगों को फायदे का सौदा बन जाए। हालांकि यह बड़ी चुनौती है, लेकिन दीर्घकालीन लक्ष्यों को बिना सामाजिक सरोकार के नहीं पाया जा सकता। तो उपाय क्या हों?
क्या मप्र में वनभूमि को नियंत्रित ढंग से निजी हाथों में सौंपा जा सकता है जिसको काटने-छांटने समृद्ध करने का अधिकार किसी सहकारी संस्था, निजी कंपनी के हाथों में ही हो।
सुनने में यह थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन निजी वन स्वामित्व मॉडल पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में ही सही मप्र में अपनाएं तो हो सकता है यह भारत के भविष्य की ऊर्जा जरूरतों एवं क्लाइमेट चेंज जैसी वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में बढ़ा योगदान दे सके।
हाल ही में मुझे यूरोपीय यूनियंस द्वारा आयोजित वनों की अर्थव्यवस्था विषय पर अंतरराष्ट्रीय स्टडी टूर में शामिल होने का मौका मिला। करीब दस दिनों तक मैंने यूरोप की वनराजधानी कहे जाने वाले योन्सू से लेकर विभिन्न जगहों पर उनके वन माडल को करीब से देखा, नवाचारों को समझा।
वनों को फायदे का सौदा बनाने में नार्डिक देश फिनलैंड सबसे आगे है। फिनलैंड के पूर्वी क्षेत्र में रूस बार्डर पर नार्थ करेलिया क्षेत्र का लगभग 79 प्रतिशत हिस्सा हरियाली से घिरा हुआ है। कुल वनों के आधे से अधिक पर निजी व्यक्तियों का मालिकाना हक है।
बिजनेस योन्यू की प्रतिनिधि एना मारिया बताती हैं कि फिनलैंड में स्पष्ट नियम है एक पेड़ काटना है तो उससे पहले चार पेड़ लगाने होंगे। यह क्रम बना रहता है, जिससे वन भी बढ़ रहे हैं और लोगों को खूब आय हो रही है। आज योन्सू के जंगल से निकलने वाली हर वस्तु के लिए मार्केट है।
वह भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का। मप्र में सबसे पहले लकड़ी के साथ साथ अन्य उत्पादों के लिए खरीदार तैयार करने होंगे।
संयुक्त राष्ट्र का 30x30 लक्ष्य है। इसके तहत हर देश को वर्ष 2030 तक अपने 30 प्रतिशत भूभाग को प्राकृतिक रूप से समृद्ध रखना है। इसी के चलते भारत का ग्रीन इंडिया मिशन के तहत वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को हरा-भरा करने का लक्ष्य है। यह अल्पकालीन लक्ष्य है, सन 2070 मुख्य टारगेट है। आगामी 45 साल तक बहुत कुछ हटकर करना होगा। बड़ी बंजर जमीन पर वनों को सिर्फ सरकार नहीं उगा सकती, बल्कि उसके लिए सामाजिक सहभागिता की अतिआवश्यकता है।
दुनिया का सबसे बड़ा बायोफ्यूल उत्पादक देश है, उसने जंगल की लकड़ी के बचे छिलके और बुरादे तक से डीजल बनाकर परंपरागत तेल पर ऊर्जा निर्भरता बहुत हद तक कम कर ली है।
फिनलैंड के अधिकांश परिवार हर वीकेंड पर वन में जाकर ही समय बिताते हैं। यह वहां की आम दिनचर्चा है, जिससे बच्चों में वनों के प्रति लगाव बचपन से ही बढ़ जाता है। - पिला इलोनेन, हेल्सिंकी फिनलैंड
(लेखक यूरोपीय संघ के वन अध्ययन दल में शामिल थे।)