विद्यार्थियों को मराठी व तमिल सिखाएगा डीएवीवी विश्वविद्यालय, नवंबर से शुरू होंगे कोर्स
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय नवंबर से मराठी और तमिल भाषा के शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करेगा। उच्च शिक्षा विभाग ने भारतीय भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर जोर दिया है। इससे विद्यार्थियों को करियर में भाषा बाधा नहीं आएगी। विश्वविद्यालय लोकप्रिय कोर्सों में सीटें बढ़ाने की भी योजना बना रहा है।
Publish Date: Mon, 01 Sep 2025 02:19:47 PM (IST)
Updated Date: Mon, 01 Sep 2025 02:19:47 PM (IST)
भारतीय भाषाओं से जोड़ने की दिशा में कदम। (फाइल फोटो)HighLights
- डीएवीवी नवंबर से मराठी और तमिल कोर्स शुरू करेगा।
- भाषा ज्ञान से विद्यार्थियों को रोजगार में लाभ मिलेगा।
- प्रत्येक भाषा कोर्स में मिलेंगे एक-दो क्रेडिट पाइंट।
एज्यूकेशन डेस्क। प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग अब विद्यार्थियों को भारतीय भाषाओं से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम में भारतीय भाषाओं को शामिल करने पर जोर दिया है, जिससे विद्यार्थियों का सांस्कृतिक जुड़ाव मजबूत हो और रोजगार के नए अवसर खुल सकें।
इसी पहल के तहत देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) सबसे पहले मराठी और तमिल भाषा के शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है।
भाषाओं से मिलेगा करियर में लाभ
विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि बड़ी संख्या में विद्यार्थी हर साल महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की कंपनियों में नौकरी के लिए जाते हैं। यदि वे स्थानीय भाषा जानते होंगे तो वहां की संस्कृति में आसानी से घुल-मिल पाएंगे और अपने करियर में तेज प्रगति कर सकेंगे।
कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने बताया कि इन भाषा पाठ्यक्रमों से विद्यार्थियों की संवाद क्षमता भी विकसित होगी, जो उन्हें पेशेवर जीवन में मदद करेगी।
क्रेडिट पाइंट मिलेंगे
यह पाठ्यक्रम शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स के रूप में होंगे। प्रत्येक कोर्स में एक से दो क्रेडिट पाइंट जोड़े जाएंगे और इन्हें वैकल्पिक विषय के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। विद्यार्थियों को भाषा की मूलभूत जानकारी के साथ-साथ संवाद कौशल भी सिखाए जाएंगे। इससे वे नौकरी या उच्च शिक्षा के अवसरों में भाषा बाधा से मुक्त रह सकेंगे।
उच्च शिक्षा मंत्री का निर्देश
हाल ही में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने प्रदेशभर के कुलगुरुओं की बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं का ज्ञान विद्यार्थियों के लिए रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाएगा और सांस्कृतिक जुड़ाव भी मजबूत करेगा। विभाग का मानना है कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना समय की मांग है।
मांग वाले पाठ्यक्रमों में सीटें बढ़ेंगी
- दूसरी ओर, डीएवीवी की प्रवेश प्रक्रिया अब अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। कुलगुरु डॉ. राकेश सिंघई ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रवेश की स्थिति का पूरा ब्योरा तैयार करें। इस बार समीक्षा नवंबर में ही की जाएगी, जबकि आमतौर पर यह फरवरी में होती थी। इससे लोकप्रिय कोर्सों की सीटें समय रहते बढ़ाई जा सकेंगी।
- एमबीए मैनेजमेंट साइंस, टूरिज्म, आंत्रप्रेन्योरशिप, बीए इकोनॉमिक्स, एलएलबी, बीए-एलएलबी और एलएलएम जैसे कोर्सों में हर साल सीटों से दोगुना आवेदन आते हैं। वहीं, कुछ कोर्स ऐसे भी हैं जिनमें लगातार तीन साल से 30 प्रतिशत से कम प्रवेश हो रहे हैं।
- ऐसे कोर्सों की समीक्षा कर, आवश्यक होने पर उन्हें बंद करने की योजना है। इनमें कुछ विदेशी भाषाओं के सर्टिफिकेट कोर्स, बीए-एमए के तीन विषय और पत्रकारिता विभाग का फिल्म स्टडी कोर्स शामिल हैं।