
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सात दिन पहले लांच हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) के मोबाइल एप ‘ई-समाधान’ में अब तक दर्जनभर विद्यार्थियों ने शिकायतें दर्ज करवाई हैं। स्नातक-स्नातकोत्तर के रिजल्ट और रिव्यू रिजल्ट से छात्र-छात्राएं परेशान हैं। विद्यार्थियों ने रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर दस्तावेज भी अपलोड किए हैं।
अब इनकी जांच करवाई जा रही है। कुछ छात्र-छात्राएं मूल्यांकन से भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कापी ठीक से नहीं जांचने का आरोप लगाया है। फिलहाल कुलगुरु डा. राकेश सिंघई ने ई-समाधान पर आने वाली शिकायतों को पांच से छह दिन में निपटाने पर जोर दिया है।
बीते बुधवार विश्वविद्यालय ने ई-समाधान मोबाइल एप लांच किया है। 27 नवंबर से एक दिसंबर के बीच विद्यार्थियों ने एप डाउनलोड कर शिकायत दर्ज करवाई है। छह रिजल्ट, दो रिव्यू रिजल्ट, दो मूल्यांकन और एक-एक डिग्री व माइग्रेशन में देरी को लेकर समस्या बताई है। एमए, एमकाम, एमएससी सहित अन्य पीजी थर्ड सेमेस्टर के रिजल्ट से जुड़ी इन शिकायतों में विद्यार्थियों ने अलग-अलग विषय में कम अंक देने का आरोप लगाया है।
विश्वविद्यालय ने इन छात्रों की संबंधित विषय की उत्तरपुस्तिका की रिटोटलिंग करने का निर्णय लिया है। यहां तक कि रिव्यू रिजल्ट में फेल विद्यार्थियों ने भी शिकायत की है। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि रिव्यू रिजल्ट के बाद न रिटोटलिंग और न ही दोबारा कापी जांची जाएगी, जबकि खराब मूल्यांकन से जुड़ी समस्या का समाधान निकाला जा रहा है।
डिग्री और माइग्रेशन अगले दो दिनों के भीतर विद्यार्थियों को भिजवाए जाएंगे। परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी का कहना है कि सात दिनों में समस्या का समाधान करने की डेडलाइन रखी है। वे कहते हैं कि महीनेभर में दो मर्तबा एप्लीकेशन पर दर्ज शिकायतों की समीक्षा की जाएगी।
एप लांच हुए सात दिन बीत चुके हैं। मगर अभी तक प्ले स्टोर पर एप का पंजीकरण नहीं हुआ है। इसे लेकर विश्वविद्यालय को कुछ दस्तावेज गूगल को भेजना है। एप से जुड़े सभी पहलुओं का सत्यापन किया जाएगा। यह प्रक्रिया दस दिनों में पूरी की जाएगी।
सात दिन के भीतर ही विवि ने ई-समाधान एप को अपडेट करने का विचार किया है। एप पर शिकायत करने के लिए विद्यार्थियों से उनका नामांकन नंबर मांगा जाएगा। इसके पीछे असल वजह है कि विद्यार्थियों की आड़ में कोई अन्य गलत इस्तेमाल न कर सकें। सहायक कुलसचिव डॉ. विष्णु मिश्रा का कहना है कि छात्रनेता या छात्र संगठन एक ऐसी बार-बार शिकायत न कर सकें। इसके लिए यह निर्णय लिया जा रहा है।