नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। 2025-26 सत्र शुरू हुए दो महीने से अधिक समय हो गया है। मगर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय अब तक बीते सत्र 2024-25 की प्लेसमेंट रिपोर्ट जारी नहीं कर पाया है। आमतौर पर यह रिपोर्ट मार्च-अप्रैल में सार्वजनिक हो जाती है, लेकिन इस बार प्लेसमेंट की स्थिति बेहतर नहीं है। इसके चलते रिपोर्ट अटकी हुई है।
प्लेसमेंट प्रभावित होने की मुख्य वजह मार्केट डाउन होना बताया गया है। कई बड़ी कंपनियां शुरुआती सत्र में कैंपस प्लेसमेंट करने आती थीं। उन्होंने इस बार तीन से चार महीने की देरी से विश्वविद्यालय में दस्तक दी है। इतना ही नहीं कई नामी कंपनियों ने तो प्लेसमेंट ड्राइव पूरी तरह रद्द कर दी, जिसमें आईटी सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं। वहीं इस बार छात्रों को नौकरियों के अवसर भी कम मिले हैं।
एक और बड़ा कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को माना जा रहा है, क्योंकि आईटी सेक्टर में एआई ने तेजी से जगह बनाई है। एआई अपनाने के बाद कंपनियों ने कई पारंपरिक पदों को खत्म कर दिया है। इसके चलते अब कंपनियां उन्हीं उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही हैं, जिनके पास नए जमाने की तकनीक और कौशल हैं। इस बदलाव का सीधा असर छात्रों के रोजगार पर पड़ा है। इसके चलते 2024-25 सत्र में बीस से पच्चीस कंपनियां नहीं आई हैं।
पैकेज पर लगा ब्रेक
मार्केट की कमजोरी का असर छात्रों के पैकेज पर भी पड़ा है। विश्वविद्यालय की तरफ से अब तक अधिकतम पैकेज का खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि उपलब्ध जानकारी के अनुसार करीब 80 प्रतिशत छात्र नौकरी पाने में सफल रहे हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद से कम पैकेज स्वीकार करना पड़ा है। यानी नौकरी तो मिली लेकिन वेतन में समझौता करना पड़ा। पिछले साल 1400 से अधिक विद्यार्थियों को नौकरियां मिली थीं।
जबकि इस साल 1100 विद्यार्थियों के पास ही नौकरियां बताई जा रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक 2023 में आईआईपीएस के एक विद्यार्थी नीदरलैंड की कंपनी में एक करोड़ 13 लाख रुपये की जॉब ऑफर हुई थी। वहीं पिछले साल 54 लाख सालाना वेतन की नौकरी मिली थी। जबकि इस बार 20 फीसद पैकेज में कटौती होना बताया गया है।
दो साल के भीतर विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट करने के लिए कंपनियों की संख्या में कमी आई है। 2023 में 140 और 2024 में 130 कंपनियों ने विद्यार्थियों को नौकरियां दी थीं। मगर इस बार बीस से पच्चीस कंपनियां नहीं आई हैं। ये आईटी सेक्टर की कंपनियां हैं। कई कंपनियां जनवरी-फरवरी में आती थीं, जो प्लेसमेंट करने इस साल नहीं पहुंची हैं।
विश्वविद्यालय हर साल मार्च से अप्रैल के बीच प्लेसमेंट रिपोर्ट जारी कर देता है, लेकिन इस बार पांच महीने अधिक बीत चुके हैं। रिपोर्ट अटकी हुई है। कारण यह है कि प्लेसमेंट ड्राइव मार्च तक खत्म हो जाती है। मगर इस साल अगस्त तक कंपनियां प्लेसमेंट करवाने आई हैं।
विश्वविद्यालय के डेढ़ दर्जन विभागों में प्लेसमेंट होते हैं, जिसमें आईएमएस, आईआईपीएस, आईईटी, इकानोमिक्स, कामर्स, कंप्यूटर साइंस, ईएमआरसी सहित कई विभाग शामिल हैं। हर बार प्लेसमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले 1300 से 1400 विद्यार्थी रहते हैं। इस साल भी विद्यार्थियों का आंकड़ा यही रहा है। मगर 1100 छात्र-छात्राओं को जॉब ऑफर हुए हैं।
350 आईएमएस, 450 आइईटी, 200 आईआईपीएस के विद्यार्थी शामिल हैं। जबकि आठ विभागों के लिए प्लेसमेंट सेल ने 50 कंपनियां बुलवाईं। मगर 16 विद्यार्थियों को जाब ऑफर हुए हैं। कारण यह है कि पंजीकरण करवाने के बावजूद विद्यार्थियों ने प्लेसमेंट ड्राइव में हिस्सा नहीं लिया है।
प्लेसमेंट सेल प्रभारी डॉ. गोविंद माहेश्वरी का कहना है कि अगले कुछ दिनों में रिपोर्ट जारी की जाएगी। सभी विभागों से विद्यार्थियों को प्राप्त जॉब ऑफर की जानकारी मिल चुकी है।
प्लेसमेंट रिपोर्ट की जिम्मेदारी सेल के पास है। उसके बारे में प्लेसमेंट सेल ही जानकारी दे सकती है। - डॉ. राकेश सिंघई, कुलगुरु, डीएवीवी