
एजेंसी, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election) के पहले चरण में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ा है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण में लगभग 65 प्रतिशत वोटिंग हुई, जो 2020 के विधानसभा चुनाव में दर्ज 57.29 प्रतिशत से अधिक है।
हालांकि, इस बढ़े हुए प्रतिशत का कारण मतदाताओं की जागरूकता से ज्यादा मतदाता संख्या में आई कमी को माना जा रहा है। चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष मतदाता पुनरीक्षण के दौरान मृत, अनुपस्थित और दो जगह नाम दर्ज कराने वाले मतदाताओं की छंटनी की गई। इसके बाद राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या घटकर 7.89 करोड़ से 7.42 करोड़ रह गई। इसी संशोधित सूची के आधार पर इस बार मतदान हो रहा है।
चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि सही तुलना तभी संभव होगी जब दूसरे चरण के मतदान के बाद पूरे राज्य का औसत मतदान प्रतिशत सामने आएगा। फिलहाल, पुनरीक्षित सूची के कारण वोट प्रतिशत अधिक दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि ज्यादा मतदान का अर्थ हमेशा सत्ता-विरोध नहीं होता। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासनकाल के दौरान हर चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ा, लेकिन सरकार नहीं बदली।
बिहार में भी 2015 में 2010 की तुलना में 4.18 प्रतिशत अधिक वोट पड़े थे, फिर भी नीतीश कुमार सत्ता में लौटे थे, हालांकि उस समय वे राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में थे। इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार भी मतदान प्रतिशत का बढ़ना सत्ता परिवर्तन की गारंटी नहीं है। अंतिम फैसला मतगणना के बाद ही साफ होगा कि बढ़ी वोटिंग जनता के उत्साह का संकेत है या राजनीतिक रुझान का।