राजेश शर्मा, राजगढ़। राजगढ़ जिले की राजनीति का अपना अलग ही मिजाज है। यहां समय-समय पर निर्दलीय उम्मीवारों का भी खूब बोलबाला रहा है। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से सात निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा पहुंचने में सफल रहे तो, दो बार प्रजा समाज पार्टी के प्रत्याशी सदन पहुंचे हैं। इसके अलावा खिलचीपुर में निर्दलीयों के कारण भाजपा-कांग्रेस तीसरे पर जा चुकी तो नरसिंहगढ़ में शिवसेना के चलते भाजपा को तीसरे स्थान पर जाना पड़ा था।
कहने को भले ही गुना-ग्वालियर से सटा हुआ क्षेत्र है, लेकिन यहां पूरा असर मालवा का ही नजर आता है। यही कारण है कि न यहां अब तक हाथी चिंघाड़ सका न ही साइकिल चली, लेकिन समय-समय पर निर्दलीय जरूर अपना दम दिखाने में सफल रहे हैं। हालांकि पिछले 33 साल से तो भाजपा-कांग्रेस को छोड़कर निर्दलीय या दूसरे दलों के प्रत्याशी सदन का मुंह तक नहीं देख सके। अंतिम बार 1990 में भाजपा से बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे डीएम जगताप ब्यावरा विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इसके अलावा अन्य किसी को कहीं कोई मौका नहीं मिला।
जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर अब तक सिर्फ सात लोग निर्दलीय व एक पीएसपी यानि की प्रजा समाज पार्टी से सदन पहुंचने में सफल रहे हैं। राजगढ़ विधानसभा से 1957 में रामकरण दुबे प्रजा समाज पार्टी से चुनाव जीतने में सफल रहे थे, 1962 में शिवप्रसाद सत्येंद्र खुजनेरी निर्दलीय चुनाव जीते थे। इसके अलावा ब्यावरा विधानसभा से पहला चुनाव 1957 में लक्ष्मणसिंह निर्दलीय जीतने में सफल रहे थे, तो 1962 का चुनाव रामकरण उग्र प्रजा समाज पार्टी से जीते थे।
तीसरा चुनाव जगन्नाथ सिंह निर्दलीय जीते थे व अंतिम बार 1990 में डीएम जगताप ने जीत दर्ज की थी। नरसिंहगढ़ में 1962 में भानू प्रकाश सिंह निर्दलीय जीतने में सफल रहे थे। खिलचीपुर में भी 1962 का चुनाव हरिसिंह पंवार निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। सारंगपुर विधानसभा से 1977 में अमरसिंह मोतीलाल निर्दलीय चुनाव जीतकर सदन पहुंचे थे
जिले की कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कई बार नर्दलीय उम्मीदवार खूब दंभ भरने में सफल रहे हैं। उन्होंने इतने वोट बटोरे की राष्ट्रीय दल भाजपा व कांग्रेस को तीसरे स्थान पर पहुंचाने में तक सफल रहे हैं। खिलचीपुर विधानसभा में 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार के कारण कांग्रेस तीसरे पर चली गई थी। यहां भाजपा उम्मीदवार पूरसिंह पंवार ने जीत दर्ज की थी, दूसरे स्थान पर निर्दलीय हजारीलाल दांगी रहे थे व कांग्रेस प्रत्याशी प्रभूदयाल चौबे तीसरे स्थान पर चले गए थे।
खिलचीपुर विधानसभा सीट में ही 1998 निर्दलीय के कारण भाजपा भी तीसरे स्थान पर जा चुकी है। कांग्रेस के हजारीलाल दांगी चुनाव जीते थे, निर्दलीय कन्हैयालाल दांगी दूसरे पर रहे थे, तो भाजपा के पूरसिंह पंवार तीसरे स्थान पर चले गए थे। इसी प्रकार 1993 के चुनाव में नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के कारण भाजपा तीसरे स्थान पर जा चुकी है। कांग्रेस उम्मीदवार गिरीश् भंडारी चुनाव जीते थे तो शिवसेना से मोहन शर्मा दूसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा के हनुमान प्रसाद गर्ग तीसरे स्थान पर रहे थे।