
MP Election 2023: वैभव श्रीधर, भोपाल। नवंबर में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा और कांग्रेस की चिंता कम मतों के अंतर से हार-जीत वाली सीटें बढ़ा रही हैं। कांग्रेस ने 2018 में नौ सीटें एक हजार 300 से कम मतों के अंतर से जीती थीं। इनमें से तीन सीटें भाजपा ने उपचुनाव में जीत लीं। वहीं, भाजपा सात सीटें एक हजार 234 से कम मतों से जीती थी।
प्रत्याशी बदलने का मन
इन सीटों को दोनों ही दल अपने पाले में करने का जतन कर रहे हैं। कांग्रेस ने जहां कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदलने का मन बनाया है तो कुछ को फिर मौका दिया जा सकता है। यही स्थिति भाजपा की भी है।
भाजपा तब चूक गई थी
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अधिक मत प्रतिशत प्राप्त करने के बाद भी भाजपा सरकार बनने से चूक गई थी। पार्टी को 41.02 प्रतिशत मत मिले थे और 109 प्रत्याशी जीते थे। इनमें सात ऐसे थे, जो एक हजार 234 मत या उससे कम मतों के अंतर से चुनाव जीते थे। इनमें सागर जिले की बीना सीट से महेश राय 460 मतों से जीते थे। 720 मतों के अंतर से जीतने वाले कोलारस के भाजपा विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। जावरा से राजेंद्र पांडे भी 511 मतों के अंतर से जीते थे।
यही स्थिति चंदला, नागौद, देवतालाब और इंदौर पांच सीट से भी भाजपा प्रत्याशी कम मतों के अंतर से जीते थे। जबकि, कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत मत मिले थे और 114 विधायक चुनाव जीते थे। इनमें नौ को एक हजार 284 या उससे कम मतों के अंतर से जीत मिली थी।
इनमें से दमोह से विधायक राहुल सिंह, मांधाता नारायण पटेल, नेपानगर सुमित्रा देवी कास्डेकर और सुवासरा से विधायक चुने गए हरदीप सिंह डंग ने कांग्रेस छोड़ी और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ले ली। राहुल सिंह को छोड़कर बाकी उपचुनाव में विजयी रहे।
ब्यावरा से 826 मतों से जीते गोवर्धन दांगी के निधन पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रामचंद्र दांगी विजयी रहे। इसके अलावा राजनगर से विक्रम सिंह 732, जबलपुर उत्तर से विनय सक्सेना और राजपुर से बाला बच्चन 932 मतों से जीते थे। प्रदेश में सबसे कम 121 मतों के अंतर से कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने ग्वालियर दक्षिण में जीत प्राप्त की थी।
प्रत्याशी चयन के लेकर सर्वे
भाजपा और कांग्रेस के नेता प्रत्याशी चयन के लेकर सर्वे करा चुके हैं। कार्यकर्ताओं से फीडबैक भी लिया जा चुका है। भाजपा ने तीन सूची में 79 प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है। इनमें हारी हुई सीटों के प्रत्याशी भी शामिल हैं। नए चेहरों को दांव लगाया गया है। माना जा रहा है कि कम मतों के अंतर से जो सीटें जीती या हारी थीं, वहां जातीय और स्थानीय समीकरणों के आधार पर परिवर्तन संभावित है।
कांग्रेस में मंथन का दौर
उधर, कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर अभी मंथन का दौर चल रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और पार्टी ने अपने स्तर पर सर्वे करा लिए हैं और जिन विधायकों की स्थिति कमजोर थी, उन्हें सूचित भी किया जा चुका है। प्रदेश पदाधिकारियों का कहना है कि कुछ विधायकों ने अपनी स्थिति में सुधार किया है। इन्हें फिर चुनाव लड़ाया जा सकता है। वहीं, उपचुनाव में जिन सीटों पर हार मिली थी, वहां नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी है।