125 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाई कर चुकी 'रुस्तम' की सबसे मजेदार बात यह है कि यह फिल्म एक मुकाम के बाद किसी भी तरफ रुख करने का माद्दा रखती है।
अंत जो असली फिल्म में दिखाया गया है, उससे काफी अलग भी संभव था। वाकई अब कोई नहीं जानता कि असली में उस दिन हुआ क्या था, जिस दिन K. M. नानावटी ने अपनी पत्नी के प्रेमी को गोली मारी थी। कहा जा रहा है कि 'रुस्तम' को कई साल पुराने नानावटी केस पर बनाया गया है, जबकि फिल्म अपने डिस्क्लेमर में साफ दावा करती है कि सच्चाई से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
रॉक ऑन 2 का मैजिकल टीजर हुआ रिलीज
संभव है कि रुस्तम में गोलियां अपनी पत्नी के प्रेमी प्रेम आहूजा को मारी थीं, पर इसके पीछे की वजह कुछ और ही थी। निर्माता नीरज पांडे से यह उम्मीद की बात की जा रही थी वे इसका अंत चौंकाने वाला रखेंगे लेकिन उन्होंने सीधा अंत रख दिया। अगर वे सीधा-सीधा उस केस को ही उठा लेते तो फिल्म और मजेदार हो सकती थी।
नानावटी केस के बारे में कहा जाता है कि ये मामला सोची समझी-रणनीति के तहत प्रेम आहूजा की हत्या का था, जिसे एक अखबार और पारसी लोगों ने पूरी तरह मुद्दे्दे से भटका दिया। लोगों को इसमें देशभक्ति और पति-पत्नी के बीच के रिश्ते नजर लगे। ये केस ज्यूरी के सामने नानावटी के पक्ष में सहानुभूति पैदा कर देता है, जब नानावटी की पत्नी सेल्विया ने उसके पक्ष में बयान दिया।
बयान ने नानवटी के पक्ष में केस मोड़ दिय़ा। सहानुभूति में ज्यूरी ने भी नानावटी को प्रेम आहूजा की इरादतन हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया। जज ने केस को बॉम्बे हाईकोर्ट भेजा और हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट ने नानावटी को हत्या का दोषी मान जेल भेज दिया।
नौसेना भी जुड़ा रहा यह सच है लेकिन इस मामले में कुछ आधिकारिक नहीं है। करीब 3 साल तक जेल में रहने के बाद नानावटी की रिहाई तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के हस्तक्षेप के बाद हो सकी। रिहाई के बाद कुछ समय तक वो मुंबई में रहे और बाद में पूरे परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए। कनाडा में 2003 में उनकी मौत हुई। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी हैं।