Deepika Padukone Birthday: मेंटल हेल्थ पर दीपिका पादुकोण के कोट, जो आज भी लोगों को करते हैं इंस्पायर
जो बात दीपिका को सबसे अलग बनाती है, वह है अपने मन की बात कहने का उनका साहस और दृढ़ विश्वास। दीपिका मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की प्रबल समर्थक रही हैं, और उन्होंने अपने मंच का उपयोग सामाजिक कलंक को तोड़ने और खुली बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए किया है।
Publish Date: Sun, 05 Jan 2025 01:34:21 PM (IST)
Updated Date: Sun, 05 Jan 2025 01:34:21 PM (IST)

बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण 5 जनवरी को अपना 39वां जन्मदिन मना रही हैं। दीपिका की गिनती इंडस्ट्री की सबसे सफल अभिनेत्रियों में होती है, जिन्होंने ‘पद्मावत’, ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी फिल्मों में अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें दुनिया भर के प्रशंसकों का प्रिय बना दिया है। यहां पढ़िए मानसिक स्वास्थ्य पर दीपिका की कही कुछ बातें जो लोगों को प्रेरित करती हैं।
- ‘लोग फिजिकल फिटनेस के बारे में बात करते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मैं लोगों को पीड़ित होते हुए देखती हूं, और उनके परिवारों को इसके बारे में शर्म महसूस होती है, जिससे कोई मदद नहीं मिलती। ऐसी मरीज को साथ की आवश्यकता होती है। मैं अब चिंता और अवसाद के बारे में जागरूकता पैदा करने और लोगों की मदद करने के लिए एक पहल पर काम कर रही हूं।’
‘यह वास्तव में मेरे बारे में नहीं है, यह वास्तव में उनके बारे में है, जिन्हें उम्मीद है कि कोई उनकी मदद करेगा। उन लोगों के लिए जो अवसाद से गुजर चुके हैं या अभी गुजर रहे हैं। अगर हम किसी एक जिंदगी को भी प्रभावित कर सकते हैं या उस एक व्यक्ति को अपनी जान लेने से बचा सकते हैं क्योंकि वे बहुत निराश और हताश हैं, तो मुझे लगता है कि हमने वह हासिल कर लिया है जो हम चाहते थे।’
‘ऐसे दिन थे जब मैं हार मान लेना चाहती थी, लेकिन हर दिन आशा मुझे अगले दिन तक ले जाती थी। मैं कहती रही, यह बीत जाएगा। इसलिए आशा है।’
‘मुझे रोजाना अपना ख्याल रखना होता है, मैं क्या खाती हूं, कितनी सोती हूँ, व्यायाम करती हूं, ध्यान लगाती हूँ - यह सुनिश्चित करने के लिए कि मैं उस अंधेरे स्थान पर वापस न जाऊं।’
‘बेशक! टूटे हुए दिल को जोड़ने में बहुत ताकत लगती है। अपनी ऊर्जा को अपने काम में लगाने से मदद मिलती है, लेकिन उन पर सवाल उठाने के बजाय परिस्थितियों को स्वीकार करने में सक्षम होने से भी बहुत मदद मिलती है।’
‘जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज खुश रहना है, चाहे दूसरे कुछ भी कहें, वह करें जिससे आपको खुशी मिले।’
‘हर कोई अपनी जान नहीं लेता, लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो हर सुबह खुद से लड़ते हैं।’
‘ठीक न होना ठीक है, जब तक आप हार नहीं मान रहे।’
‘माता-पिता अपने बच्चों को परामर्शदाताओं या मनोरोग उपचार के लिए नहीं ले जाना चाहते क्योंकि वे चिंतित होते हैं कि परिवार के अन्य सदस्य क्या सोचेंगे, समाज क्या सोचेगा। मेरे सामने ऐसी स्थितियां आई हैं, जहां मानसिक बीमारियों का अनुभव करने वाले लोग मदद लेना चाहते हैं लेकिन परिवार उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं देता।’