Panchayat Review : हमारी फिल्मों ने अलग ही तरह के गांव दिखाना शुरू कर दिए थे। ये या तो 'वासेपुर' जैसे थे या 'स्वदेस' जैसे। पूरी फिल्मी दुनिया ही उन गांवों का जिक्र करने में लगी थी जो एक तरह से अपवाद हैं। अब जाकर एक ऐसी कहानी देखने को मिली है जो किसी भी गांव पर आप आंख बंद कर फिट कर सकते हैं। कहानी मिली भी तो एक वेब सीरीज 'पंचायत' में जो 'एमेजॉन प्राइम वीडियो' पर इसी महीने रिलीज हुई है। Jitendra Kumar की सीरीज ये इतनी मजेदार है कि इसे बार-बार देखने का मन करता है।
इसमें आप जितेंद्र कुमार को देखेंगे, ये वो ही हैं जो 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' में थे। वेब सीरीज देखने वाले तो इन्हें 'कोटा फैक्ट्री' जैसी कुछ जगहों पर देख चुके हैं। जितेंद्र कुमार के कंधों पर इस बार बड़ी जिम्मेदारी थी। नीना गुप्ता और रघुवीर यादव जैसे दिग्गज कलाकारों के बीच उन्हें टिके रहना था। वो कमाल कर जाते हैं और वाकई प्रभावित करते हैं।
जितेंद्र यहां पंचायत सचिव हैं और यूपी के एक गांव 'फुलेरा' में वो अपनी पहली नौकरी के लिए पहुंचे हैं। सपना तो लाख रुपए महीने की नौकरी का है लेकिन फिलहाल 20 हजार महीने की नौकरी से काम चला रहे हैं। साथ में एमबीए की तैयारी भी रहे हैं।
गांव की प्रधान हैं नीना गुप्ता लेकिन केवल नाम की, उनके पति रघुवीर यादव सारा काम देखते हैं। बिस्वपति सरकार ने जितेंद्र के जूनियर प्रतीक का रोल किया है। सभी बढ़िया कलाकार हैं जो एक्टिंग के मामले में आपको पूरे वक्त चिंता मुक्त रखते हैं।
इस सीरीज में आठ एपिसोड हैं और आठों में अलग-अलग कहानियां हैं। ये सभी अपने आप में अलग हैं लेकिन फिर भी एक महीन धागा इन्हें जोड़े रखता है। कुछ एपिसोड्स तो अद्भुत हैं जैसे चौथा... इसमें जितेंद्र का पंगा गांव के दो छोटे गुंडों से हो जाता है। इनकी टसल देखने लायक है। इतनी ईमानदारी से इसे फिल्माया गया है कि आप निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा के फैन हो जाते हैं। इसमें दोनों गुंडों और जितेंद्र की बहादुरी और डरना लगभग बराबर है जो इस एपिसोड को बेस्ट साबित करता है।
गांव की शादी वाला तीसरा एपिसोड भी दिल को छू लेने वाला है। इसमें उस दूल्हे की व्यथा है जो बेचारा एक दिन के लिए खुद को राजा मान लेता है। हालांकि यहां उसे वो इज्जत नहीं मिलती है लेकिन गांव की शादी का माहौल यहां बेमिसाल रूप से जिंदा हुआ है। बारात का गांव के स्कूल में रुकना, घराती और बारातियों के लिए नाश्ते के अलग-अलग डिब्बे... हर बात बारिकी से पेश हुई।
30 - 40 मिनिट के ये एपिसोड आसानी से लॉकडाउन में आपका पूरा दिन सार्थक कर सकते हैं। कहने को चार घंटे का कंटेंट है लेकिन यह सीरीज पूरा दिन आपके अहसास में साथ रहती है। हो सकता है अगले दिन आप इसे फिर एक बार देख लें।
लास्ट एपिसोड एक क्लासिक फिल्म की तरह का क्लाइमैक्स है। इसमें नीना गु्प्ता का कहानी में दमदारी से प्रवेश होता है। इस एपिसोड में ही अगले सीजन की गुंजाइश भी खुलती है जब जितेंद्र गांव की पानी की टंकी पर चढ़ते हैं।
इस सीरीज को बिल्कुल भी मिस नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी वेब सरीज कम ही बन रही हैं। हम देखेंगे तो बनती रहेंगी, ये तय है।
- सुदीप मिश्रा
Posted By: Sudeep Mishra
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