
एंटरटेनमेंट डेस्क। महज 400 रुपये जेब में लेकर मुंबई पहुंचे इस अभिनेता ने संघर्षों को मात देकर बॉलीवुड के सबसे दमदार खलनायकों में अपनी अलग पहचान बनाई। पाकिस्तान में जन्मे इस कलाकार का सफर दर्द, मेहनत और हौसले की मिसाल है।

सुरेश ओबेरॉय का जन्म 17 दिसंबर 1946 को पाकिस्तान के क्वेटा में हुआ था। 1947 के विभाजन के दौरान उनका परिवार सब कुछ छोड़कर भारत आ गया। उनके पिता आनंद सरूप ओबेरॉय, जो रियल एस्टेट के व्यवसाय में थे, पलायन में अपनी संपत्ति गंवा बैठे। आर्थिक तंगी इतनी बढ़ी कि परिवार को बुनियादी जरूरतों के सहारे दिन काटने पड़े।
सुरेश ओबेरॉय ने बाद में इंटरव्यू में बताया कि कठिन समय में परिवार चीनी और रोटी पर गुजारा करता था। हालात सुधारने के लिए उनके पिता पाकिस्तान लौटे, पहचान बदलकर अपनी बची संपत्ति बेची और हैदराबाद में परिवार को बसाया। वहां मेडिकल स्टोर खोलकर धीरे-धीरे हालात बेहतर हुए, घर और कार आई, बच्चों की पढ़ाई पूरी हुई।
अभिनय का शौक बचपन से था। हीरो बनने का सपना लेकर सुरेश ओबेरॉय महज 400 रुपये के साथ मुंबई आए। करियर की शुरुआत उन्होंने रेडियो से की, जहां उनकी बुलंद आवाज ने पहचान दिलाई। फिर रंगमंच का रुख किया और पुणे के एफटीआईआई से अभिनय की बारीकियां सीखीं।
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1977 में फिल्म जीवन मुक्त से उन्होंने फिल्मी करियर शुरू किया। शुरुआती दौर में लीड रोल किए, लेकिन असली पहचान उन्हें सशक्त सहायक और नकारात्मक किरदारों से मिली। लावारिस, नमक हलाल, विधाता, फिर वही रात, राजा हिंदुस्तानी, गदर - एक प्रेम कथा, लज्जा, प्यार तूने क्या किया, कबीर सिंह जैसी 100+ फिल्मों में उनका काम यादगार रहा।

मिर्ची मसाला (1987) में गांव के क्लर्क की भूमिका के लिए सुरेश ओबेरॉय को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता) मिला। फिल्मों के साथ उन्होंने टीवी शोज़, धड़कन और कश्मीर में भी असरदार भूमिकाएं निभाईं। वे आज भी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
1974 में यशोदरा से शादी करने वाले सुरेश ओबेरॉय की कुल संपत्ति एक सेलिब्रिटी वेबसाइट के अनुसार करीब 8 मिलियन डॉलर (लगभग 61 करोड़ रुपये) है। उनके पास मर्सिडीज और रेंज रोवर सहित कई लग्ज़री कारें भी हैं। 400 रुपये से करोड़ों तक का यह सफर बताता है कि हौसला और मेहनत हो, तो किस्मत भी रास्ता दे देती है।