अभिषेक बच्चन की नई फिल्म ‘कालीधर लापता’ अब ZEE5 पर स्ट्रीम हो रही है। ये कोई मसाला एंटरटेनर नहीं, बल्कि एक इमोशनल ड्रामा फिल्म है, जो जीवन की सच्चाइयों को बेहद सहज लेकिन प्रभावशाली ढंग से बयान करती है।
तमिल फिल्म ‘Karuppu Durai’ की हिंदी रीमेक इस फिल्म का निर्देशन भी मधुमिता सुंदररामन ने किया है, जो पहले तमिल संस्करण में अपनी संवेदनशील कहानी कहने के लिए तारीफें बटोर चुकी हैं।
कालीधर (अभिषेक बच्चन) एक बुजुर्ग हैं जो अल्जाइमर से पीड़ित हैं। उनके अपने ही परिजन उन्हें कुंभ मेले में छोड़ जाते हैं, एक ऐसी जगह जहां हर दिन सैकड़ों लोग खोते हैं। उनके पास ना पैसे हैं, ना पहचान और ना ही सहारा। तभी उनकी मुलाकात होती है बल्लू (दैविक बाघेला) नाम के अनाथ बच्चे से। दोनों के बीच एक अनकही दोस्ती जन्म लेती है- एक ऐसा रिश्ता जो उम्र, हालात और खून के रिश्तों से कहीं ऊपर है।
अभिषेक बच्चन ने इस बार अपनी एक्टिंग से वाकई दिल जीत लिया है। उनकी आंखें, चाल, डायलॉग डिलीवरी सब कुछ इतना वास्तविक है कि आप भूल जाते हैं कि वह एक किरदार निभा रहे हैं। वहीं, दैविक बाघेला बल्लू का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म में उनका मासूम ह्यूमर और गहराई दोनों बेहद कमाल दिखाई गई है।
निम्रत कौर ने 'दसवीं' के बाद एक बार फिर अभिषेक बच्चन के साथ स्क्रीन शेयर की है। वे कालीधर की प्रेमिका मीरा का रोल प्ले कर रही हैं, जो थोड़े समय के लिए ही दिखीं, लेकिन अपनी छाप छोड़ गईं। इसके अलावा, मोहम्मद जीशान अयूब सुबोध के रोल है, जो कुंभ के खोया-पाया विभाग में काम करता है और लापता कालीधर को तलाशता है।
मधुमिता सुंदररामन का निर्देशन भावनात्मक स्तर पर असर करता है, हालांकि ओरिजिनल फिल्म के मुकाबले स्क्रीनप्ले थोड़ा फीका लगता है। लेकिन कहानी कहीं भी उबाऊ नहीं लगती।
कुछ डायलॉग लाइफ-लेसन जैसे लगते हैं-
"हर रिश्ते की एक्सपायरी डेट होती है। इसलिए खुद के लिए जिएं..."
"क्या लगते हैं तुम्हारे?" - "सबकुछ।" ये डायलॉग सीधे दिल में उतर जाते हैं।