
एंटरटेनमेंट डेस्क। बॉलीवुड के बादशाह शाह रुख खान (Shah Rukh Khan) ने साल 1992 में फिल्म दीवाना से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बड़े पर्दे पर आने से पहले वह दिल्ली में थिएटर और टीवी शो में काम करते थे।
एक्टिंग में कदम रखने से पहले उनका जुड़ाव थिएटर की दुनिया से गहरा था और वहीं से उनकी पहचान एक क लाकार के रूप में बनने लगी थी।
शाह रुख खान ने दिल्ली के मशहूर थिएटर एक्शन ग्रुप (TAG) से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। यह ग्रुप बैरी जॉन द्वारा 1973 में स्थापित किया गया था।
शाह रुख 80 के दशक में इससे जुड़े और बतौर आर्ट डायरेक्टर कई नाटकों में काम किया। संजय सुजिताभ, जो उस समय उनके साथ थिएटर में थे, बताते हैं कि शाह रुख बेहद मेहनती, विनम्र और दूसरों की मदद करने वाले इंसान थे।
साल 1985 में शाह रुख ने TAG के साथ पहला नाटक ‘एनी गेट योर गन’ किया था। यह एक अमेरिकी म्यूजिकल ड्रामा था, जो लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्राओं के साथ कमानी ऑडिटोरियम में मंचित हुआ था।
इस नाटक में करीब 80 छात्राएं और केवल 4-5 लड़के थे। शाह रुख इसमें मुख्य डांसर के रूप में नजर आए और दर्शकों का दिल जीत लिया।
इसके बाद उन्होंने ‘बगदाद का गुलाम’ नाटक में रघुवीर यादव, मनोज वाजपेयी, दिव्या सेठ और दीपिका देशपांडे जैसे कलाकारों के साथ मंच साझा किया। यह प्रस्तुति भी जबरदस्त हिट रही।
संजय सुजिताभ बताते हैं कि शाह रुख उस समय बेहद जिम्मेदार और मददगार थे। 'रिहर्सल देर रात तक चलती थी। उस दौर में ज्यादा साधन नहीं थे, तो शाह रुख अपनी गाड़ी में लड़कियों को नोएडा तक छोड़ आते थे।
अगर सेट पर चाय नहीं मिलती, तो खुद स्टेशन या ITO जाकर चाय लाते और सबको पिलाते।' वह फैशन शो की कोरियोग्राफी में भी रुचि रखते थे और कई कॉलेज इवेंट्स में हिस्सा लेते थे।
बहुत कम लोगों को पता है कि शाह रुख खान के पिता, ताज मोहम्मद खान का दिल्ली के सफदरजंग इलाके में एक रेस्तरां था। शुरुआत में उसका नाम ‘रैंबल’ था, जिसे बाद में ‘खातिर’ कर दिया गया। इस रेस्तरां की देखरेख उनकी मां लतीफ फातिमा खान करती थीं।
शाह रुख अक्सर थिएटर के दिनों में दोस्तों के साथ इस रेस्तरां जाते थे। सुजिताभ बताते हैं, 'शूटिंग के समय वे अक्सर कहते थे - मां का ध्यान रखना।'
थिएटर के मंच से लेकर मुंबई के फिल्मी पर्दे तक का शाह रुख का सफर संघर्ष, मेहनत और लगन से भरा रहा। दिल्ली के साधारण कलाकार से बॉलीवुड के ‘किंग खान’ बनने तक उन्होंने हर कदम पर खुद को साबित किया।