
लाइफस्टाइल डेस्क। कहा जाता है कि दोस्त वही होते हैं जिन्हें हम अपने दिल से चुनते हैं। एक अच्छी दोस्ती जीवन को आसान और खुशहाल बना देती है, लेकिन कई बार वही रिश्ता धीरे-धीरे तनाव और थकान की वजह बन जाता है। जब दोस्ती सुकून देने के बजाय मन को भारी करने लगे, तो संकेत साफ होता है कि अब दूरी बनाना ही बेहतर है।
हर रिश्ता समय के साथ बदलता है। अगर किसी दोस्त में नीचे बताए गए ये 5 लक्षण नजर आने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि इस रिश्ते को आगे खींचना खुद को नुकसान पहुंचाना हो सकता है।
आपकी सफलता से खुश न होना
सच्चा दोस्त आपकी कामयाबी पर दिल से खुश होता है। लेकिन अगर आपकी तरक्की उसे चुभने लगे, वह तारीफ की जगह कमियां निकालने लगे या ताने कसने लगे, तो यह दोस्ती नहीं बल्कि जलन का संकेत है। ऐसे लोग आपकी उड़ान को रोकना चाहते हैं।
सिर्फ जरूरत के वक्त याद करना
क्या बातचीत की शुरुआत हमेशा आप ही करते हैं? और क्या दोस्त तभी सामने आता है जब उसे किसी मदद, एहसान या पैसों की जरूरत होती है? अगर काम निकलते ही वह गायब हो जाता है, तो यह बराबरी की दोस्ती नहीं, बल्कि स्वार्थ का रिश्ता है।
लोगों के बीच आपको छोटा दिखाना
दोस्ती में हंसी-मजाक चलता है, लेकिन अगर कोई दोस्त बार-बार सबके सामने आपकी बेइज्जती करे, आपकी कमजोरियों पर हंसे और टोकने पर कहे कि यह तो मजाक था, तो सतर्क हो जाना चाहिए। इज्जत के बिना दोस्ती का कोई मतलब नहीं होता।
आपकी निजी बातें फैलाना
दोस्ती की सबसे मजबूत नींव भरोसा होती है। अगर आपकी निजी बातें, राज या भावनाएं दूसरों तक पहुंचने लगें और वह भी मजाक या गॉसिप की तरह, तो यह साफ संकेत है कि सामने वाला भरोसे के काबिल नहीं है।
बुरे समय में साथ न देना
अच्छे दिनों में तो हर कोई दोस्त बन जाता है, लेकिन मुश्किल वक्त में साथ देने वाला ही असली दोस्त होता है। अगर परेशानी के समय आपका दोस्त बहाने बनाने लगे, फोन न उठाए या दूरी बना ले, तो समझ लीजिए कि यह रिश्ता सिर्फ सुविधा तक सीमित था। किसी दोस्ती को खत्म करना आसान नहीं होता, लेकिन मानसिक शांति के लिए टॉक्सिक रिश्तों से दूरी जरूरी है। याद रखें, गलत साथ में रहने से बेहतर है खुद के साथ सुकून से रहना।
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