लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। तेजी से बदलते कॉर्पोरेट माहौल व लगातार बढ़ते काम के दबाव के चलते आज कर्मचारी शारीरिक और मानसिक थकावट से जूझ रहे हैं। डेडलाइन की मार, मल्टीटास्किंग की आदत और लंबी वर्किंग आवर्स के कारण वर्कप्लेस बर्नआउट अब एक आम समस्या बन चुकी है।
क्रॉनिक स्ट्रेस और एंग्जायटी व्यक्ति की सेहत, उनकी कार्यक्षमता और नौकरी से संतुष्टि को भी प्रभावित करते हैं।
ऐसे में संस्थानों और कर्मचारियों दोनों की जिम्मेदारी है कि वे इस मानसिक थकान को समय रहते पहचानें और इसे दूर करने के लिए ठोस कदम उठाएं। यहां कुछ टिप्स हैं, जो वर्कप्लेस थकावट को कम करने में मदद कर सकते हैं।
टाइम मैनेजमेंट वर्कप्लेस एक्सहॉशन से निपटने में अहम भूमिका निभाता है। एक समय में एक कार्य पर फोकस करें और मल्टीटास्किंग से बचें, क्योंकि यह मानसिक थकावट को और बढ़ा सकती है। कैलेंडर, टू-डू लिस्ट या ऐप्स का उपयोग करें ताकि आप व्यवस्थित और ट्रैक पर रहें।
ट्रांसफरेंस यानी कार्यस्थल का तनाव घर ले जाना या निजी तनाव को ऑफिस में लाना मानसिक थकावट का बड़ा कारण बन सकता है। यह जरूरी है कि आप अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के बीच स्पष्ट सीमा बनाएं। ऑफिस टाइम के बाद रिलैक्सेशन और सेल्फ केयर को प्राथमिकता दें।
आपका कार्यस्थल जितना साफ और व्यवस्थित होगा, उतनी ही बेहतर आपकी मानसिक स्थिति होगी। एक बिखरा हुआ वर्क डेस्क दिमाग को थका सकता है और ध्यान भटका सकता है। समय निकालकर अपनी डेस्क को व्यवस्थित करें और ध्यान भटकाने वाले तत्वों को हटाएं।
जब मानसिक थकावट बढ़ जाए तो सहकर्मियों, मैनेजर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सहयोग लेना न भूलें। किसी भरोसेमंद व्यक्ति से अपनी बात साझा करने से आपको नए दृष्टिकोण, सहानुभूति और समाधान मिल सकते हैं।
हर दिन अपने छोटे-बड़े कार्यों की सराहना करें। आपने जो भी हासिल किया है, उसकी पहचान करें और खुद को उसका श्रेय दें। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है और कार्य के प्रति मोटिवेशन को बनाए रखता है।