हेल्थ डेस्क। भारत में सदियों से खिचड़ी घर-घर में आराम और सेहत का प्रतीक मानी जाती है। चाहे आलस्य भरे दिन हों, बीमारी के समय हो या सुकून की तलाश, खिचड़ी हमेशा राहत देती है। चावल, दाल और मसालों से बनने वाली यह सादगी भरी डिश शरीर और आत्मा दोनों को तृप्त करती है।
इसे अक्सर कटोरी में परोसी गर्माहट भरी झप्पी भी कहा जाता है। हालांकि, कई बार यही खिचड़ी बेस्वाद या फिर अधिक गली-मुशी हो जाती है, जिससे इसका असली आनंद फीका पड़ जाता है। इसकी बड़ी वजह रसोई में की गई कुछ सामान्य गलतियां होती हैं, जो स्वाद और टेक्सचर को बिगाड़ देती हैं।
आइए जानते हैं वे कौन सी गलतियां हैं जिनसे बचकर आप परफेक्ट खिचड़ी बना सकते हैं।
खिचड़ी का स्वाद और टेक्सचर काफी हद तक चावल पर निर्भर करता है। छोटे दाने वाले चावल जल्दी गलकर मुलायम खिचड़ी देते हैं, वहीं बासमती या लंबे दाने वाले चावल स्टार्च की वजह से अपना आकार बनाए रखते हैं। इसलिए अपनी पसंद की खिचड़ी के अनुसार चावल का चुनाव करें।
खिचड़ी बनाते समय पानी की मात्रा सबसे अहम होती है। जरूरत से ज्यादा पानी डालने पर चावल और दाल अपनी संरचना खो देते हैं और खिचड़ी बेस्वाद हो जाती है। बेहतर है कि पानी का अनुपात चावल-दाल और आपकी मनचाही गाढ़ी या पतली खिचड़ी के हिसाब से तय करें।
चावल और दाल को 20-30 मिनट भिगोना बेहद जरूरी है। इससे पकने का समय कम होता है और दोनों सामान बराबर से गलते हैं। बिना भिगोए पकाने पर दाल और चावल टूटकर ज्यादा गले हुए और असमान टेक्सचर वाली खिचड़ी बन सकती है।
हर दाल का पकने का समय अलग होता है। मूंग दाल जल्दी गल जाती है जबकि तुअर दाल को ज्यादा समय लगता है। अलग-अलग समय लेने वाली दालों को एक साथ पकाने से टेक्सचर गड़बड़ा जाता है। कोशिश करें कि समान समय में गलने वाली दालों का चुनाव करें।
तेज आंच पर खिचड़ी पकाने से किनारे जल्दी पक जाते हैं जबकि बीच का हिस्सा कच्चा रह जाता है। बेहतर है कि मध्यम आंच पर खिचड़ी को धीरे-धीरे पकने दें। इससे पानी बराबर से सोखकर दाल-चावल अच्छे से गलते हैं और स्वाद में निखार आता है।
खिचड़ी तैयार होने के बाद तुरंत परोसने की बजाय 5-10 मिनट ढककर छोड़ दें। इस दौरान भाप निकल जाएगी और दाने थोड़ा सख्त होकर सेट हो जाएंगे। अगर तुरंत परोसी जाए तो खिचड़ी गीली और ज्यादा मुलायम लग सकती है।