डिजिटल डेस्क। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) इस साल 27 अगस्त से मनाई जाएगी। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में पूरे देश में गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई देगी। पंडालों की रौनक, भक्ति और उत्साह का नजारा अद्भुत होता है।
गणपति को विघ्नहर्ता और बुद्धि का देवता माना जाता है। उनका स्वरूप अनोखा है - हाथी का सिर और मानव का शरीर। यह स्वरूप (Symbolic description of Lord Ganesha appearance) केवल पौराणिक कथाओं का परिणाम नहीं, बल्कि गहरे जीवन दर्शन और सीख का प्रतीक भी है। आइए जानते हैं कि भगवान गणेश का हर अंग हमें कौन-सी सीख देता है-
गणेश जी का बड़ा पेट हमें सिखाता है कि जीवन में सुख-दुःख, सफलता-विफलता और आलोचना-प्रशंसा सबको धैर्यपूर्वक स्वीकार करना चाहिए। इसका संदेश है कि हमें हर अनुभव को आत्मसात कर आगे बढ़ना चाहिए और चुगली जैसी नकारात्मक आदतों से बचना चाहिए।
गणेश जी की सूंड ताकतवर भी है और नर्म भी। यह एक पेड़ उखाड़ सकती है और एक सुई भी उठा सकती है। यह हमें सिखाती है कि हमारी बुद्धि इतनी गहरी हो कि बड़ी समस्याओं का सामना कर सके और इतनी संवेदनशील भी हो कि छोटी बातों को समझ सके। साथ ही, लचीलापन ही सफलता का असली राज है।
गणपति के बड़े कान बताते हैं कि ज्ञान पाने के लिए ज्यादा सुनना और कम बोलना जरूरी है। वे हमें यह सिखाते हैं कि दूसरों की बात ध्यान से सुनें और विवेक से तय करें कि क्या अपनाना है और क्या छोड़ना है।
गणेश जी का टूटा हुआ दांत इस बात का प्रतीक है कि हमें जीवन की अच्छाइयों को संजोकर रखना चाहिए और नकारात्मक चीजों को छोड़ देना चाहिए। साथ ही यह भी संदेश है कि हमें अपनी खूबियों और कमियों को स्वीकार करना चाहिए।
गणेश जी की छोटी आंखें हमें याद दिलाती हैं कि जीवन की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए। सूक्ष्म दृष्टि रखने से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, भले ही वह सीधे तौर पर हमें न सिखाया गया हो।
यह भी पढ़ें- Ganesh Chaturthi 2025: इस शुभ मुहूर्त में विराजेंगे बप्पा, जानें पूजा विधि, मंत्र और आरती
गणेश जी का विशाल सिर उनकी गहरी सोच और अद्भुत ज्ञान का प्रतीक है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम जीवनभर सीखते रहें और जहां से भी संभव हो, ज्ञान ग्रहण करते रहें।