लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के इतिहास में 15 अगस्त 1947 की तारीख स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन भारत ने अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पाई। तभी से हर साल इस दिन लाल किले के प्राचीर पर प्रधानमंत्री तिरंगे को सलामी देते हैं और देश को संबोधित करते हैं। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि इस दिन ध्वजारोहण (Flag Hoisting) होता है या ध्वज फहराना (Flag Unfurling)? आइए समझते हैं इन दोनों में फर्क।
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगे को फहराने के तरीकों में बड़ा अंतर है।
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) : इस दिन प्रधानमंत्री लाल किले पर रस्सी से झंडा नीचे से ऊपर खींचकर फहराते हैं। इसे Flag Hoisting कहते हैं। यह परंपरा 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा तिरंगा पहली बार फहराने से शुरू हुई। यह आज़ादी और नए आरंभ का प्रतीक है।
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) : इस दिन राष्ट्रपति पहले से ऊपर बंधे झंडे को खोलते हैं, जिसे Flag Unfurling कहा जाता है। यह परंपरा 1950 में संविधान लागू होने से जुड़ी है और स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक है।
15 अगस्त 1947 को तिरंगे का पहली बार लाल किले पर ध्वजारोहण हुआ, जो आज़ादी का ऐलान था। वहीं 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद ध्वज को अनफर्ल किया गया, जो राष्ट्र की संप्रभुता और स्थायित्व को दर्शाता है।
इसलिए, 15 अगस्त को ध्वजारोहण और 26 जनवरी को ध्वज अनफर्लिंग होती है। यह फर्क सिर्फ रस्म का नहीं, बल्कि हमारे इतिहास और भावनाओं का प्रतीक है।
इसे भी पढ़ें... PM Modi Speech: पीएम मोदी का 12वां लाल किला संबोधन... इंदिरा गांधी का टूटेगा रिकॉर्ड, जानें क्या होगा खास