गरबा और डांडिया में क्या अंतर है? फर्क जानकर आप भी चौंक जाएंगे; जानें दोनों का इतिहास
Shardiya Navratri 2025: नवरात्र दौरान गुजरात में खासतौर पर गरबा और डांडिया की रंगारंग छटा देखने को मिलती है। आज ये नृत्य केवल गुजरात तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश और विदेशों में भी खूब लोकप्रिय हो चुके हैं। कई लोग गरबा और डांडिया को एक जैसा मानते हैं, लेकिन वास्तव में दोनों में कई अंतर हैं।
Publish Date: Mon, 29 Sep 2025 08:26:31 AM (IST)
Updated Date: Mon, 29 Sep 2025 08:35:19 AM (IST)
गरबा और डांडिया में अंतरHighLights
- नवरात्र दौरान गरबा और डांडिया का महत्व।
- डांडिया बुराई पर विजय-उत्सव का प्रतीक है।
- गरबा और डांडिया से जुड़ा इतिहास यहां जानें।
डिजिटल डेस्क। नवरात्र का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना होती है और भक्त व्रत-उपवास रखते हैं। इस दौरान गुजरात में खासतौर पर गरबा और डांडिया की रंगारंग छटा देखने को मिलती है।
आज ये नृत्य केवल गुजरात तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश और विदेशों में भी खूब लोकप्रिय हो चुके हैं। कई लोग गरबा और डांडिया को एक जैसा मानते हैं, लेकिन वास्तव में दोनों में कई अंतर हैं।
डांडिया रास क्या है? (What is Dandiya Raas)
- डांडिया रास नवरात्रि का एक प्रमुख नृत्य है जिसे 'तलवार नृत्य' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली लाठियां तलवारों का प्रतीक मानी जाती हैं।
- इसमें हर व्यक्ति दो रंग-बिरंगी छड़ियां लेकर अपने साथी के साथ तालमेल बिठाकर नृत्य करता है।
- यह गरबा की तुलना में ज्यादा तेज और ऊर्जावान होता है।
- डांडिया अच्छाई की बुराई पर विजय और उत्सव का प्रतीक है।
गरबा क्या है? (What is Garba)
- गरबा एक पारंपरिक गुजराती लोकनृत्य है, जो मां दुर्गा की मूर्ति या मिट्टी के दीये (गरबो) के चारों ओर घेरा बनाकर किया जाता है। 'गरबा' शब्द संस्कृत के ‘गर्भ’ से लिया गया है, जो जीवन और सृजन का प्रतीक है।
गरबा में ताली बजाकर और सुंदर हाथ-पैर की मुद्राओं के साथ नृत्य किया जाता है।
इसके गीत प्रायः भक्तिमय होते हैं और देवी अम्बा या दुर्गा की स्तुति में गाए जाते हैं।
इसमें महिलाएं चनिया-चोली और पुरुष केडियू पहनते हैं। गरबा और डांडिया के बीच मुख्य अंतर (Differences Between Garba and Dandiya)
- गरबा बिना किसी प्रॉप्स के किया जाता है, जबकि डांडिया में छड़ियों का इस्तेमाल होता है।
- गरबा मध्यम और धीमी लय में होता है, वहीं डांडिया तेज और एनर्जी से भरा होता है।
- गरबा जीवन और भक्ति का प्रतीक है, जबकि डांडिया देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध का प्रतिनिधित्व करता है।
- गरबा अक्सर आधी रात से पहले किया जाता है, जबकि डांडिया देर रात तक चलता है।
गरबा और डांडिया से जुड़ा इतिहास (History of Garba and Dandiya)
- गरबा मिट्टी के मटके और उसमें जलते दीये के चारों ओर किया जाता है। इसे गर्भदीप कहा जाता है, जो जीवन और ऊर्जा का प्रतीक है।
- डांडिया की जड़ें पौराणिक कथाओं से जुड़ी हैं। यह देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार इसकी उत्पत्ति भगवान कृष्ण की रास लीला से हुई है।