डिजिटल डेस्क: विटामिन-डी हमारे शरीर का एक अहम पोषक तत्व है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने, मांसपेशियों की शक्ति बनाए रखने, इम्युनिटी और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है। सूरज की रोशनी इसका सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत है, लेकिन आज की जीवनशैली में लोग धूप से वंचित रह जाते हैं, जिससे शरीर में इसकी कमी (Vitamin D Deficiency)हो जाती है। शोध बताते हैं कि समय रहते विटामिन-डी की कमी पर ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
विटामिन-डी कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस तथा फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। खासकर बुजुर्ग और महिलाएं इसकी चपेट में ज्यादा आती हैं।
यह विटामिन इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है। जब इसकी कमी हो जाती है तो व्यक्ति जल्दी-जल्दी सर्दी, फ्लू और अन्य इंफेक्शंस की चपेट में आ सकता है।
लगातार थकान, ऊर्जा की कमी और मांसपेशियों का कमजोर होना भी विटामिन-डी की कमी का संकेत हो सकता है।
शोध बताते हैं कि विटामिन-डी की कमी **डिप्रेशन**, चिड़चिड़ापन, उदासी और मूड डिसऑर्डर को जन्म दे सकती है। लंबे समय तक यह समस्या गंभीर मानसिक बीमारियों का रूप ले सकती है।
विटामिन-डी बालों के फॉलिकल्स को मजबूत बनाए रखता है। इसकी कमी से हेयर फॉल बढ़ सकता है और बाल पतले होकर टूटने लगते हैं।
विटामिन-डी इंसुलिन के कार्य को प्रभावित करता है। इसकी कमी ब्लड शुगर को असंतुलित कर सकती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
सबसे गंभीर असर दिल पर पड़ता है। विटामिन-डी की कमी से ब्लड प्रेशर और हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
समय रहते विटामिन-डी की कमी पर ध्यान देकर न केवल हड्डियों बल्कि दिल और मानसिक स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।