लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीवाली 2025 अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया में रोशनी और खुशियों का प्रतीक बन चुकी है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत और आशा की किरण का संदेश देता है। भारत में पांच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव - धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज - घरों, गलियों और बाजारों को दीपों से जगमगा देता है।
भारत की तरह ही नेपाल में इसे ‘तिहार’ के रूप में मनाया जाता है। यहां पहले दिन कौवों, दूसरे दिन कुत्तों और तीसरे दिन गाय की पूजा होती है। चौथे दिन लक्ष्मी पूजा और आखिरी दिन ‘भाई टीका’ का खास आयोजन किया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।
श्रीलंका और मॉरीशस में भी यह पर्व बेहद लोकप्रिय है। तमिल समुदाय और भारतीय मूल के लोग घरों को सजाकर, मिठाइयां बनाकर और दीये जलाकर दीपावली मनाते हैं। सिंगापुर और मलेशिया में हिंदू समुदाय के बीच दीवाली की झलक ‘लिटिल इंडिया’ की सड़कों पर रोशनी और सजावट के रूप में देखी जा सकती है। मलेशिया में इसे ‘हरि दीपावली’ कहा जाता है, जहां सुबह तेल स्नान और पूजा का विशेष महत्व है।
- फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना जैसे कैरेबियन देशों में भारतीय मूल के लोगों के कारण दीवाली बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है।
- पश्चिमी देशों जैसे यूके, अमेरिका और कनाडा में भारतीय प्रवासी समुदाय दीवाली परेड और सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। लीसेस्टर की दीवाली परेड विश्व की सबसे बड़ी मानी जाती है।
- ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्थानीय सरकारें भी इन उत्सवों में भाग लेती हैं, जिससे दीवाली अब एक वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव का रूप ले चुकी है।