
लाइफस्टाइल डेस्क। सर्दियों में ठंडी हवाओं से बचने के लिए लोग अक्सर घर की खिड़कियां-दरवाजे बंद कर लेते हैं और सोते समय कंबल पूरी तरह ओढ़ लेते हैं। लेकिन यह आदत सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है, खासकर जब लोग चेहरा ढककर सोते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में कमरे में वेंटिलेशन कम हो जाता है और ऑक्सीजन का स्तर घटने लगता है, जिससे शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है।
डॉक्टरों के मुताबिक, चेहरा ढककर सोने से शरीर को मिलने वाली ऑक्सीजन 15 से 20 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और व्यक्ति को बिना किसी स्पष्ट कारण के असहजता महसूस होने लगती है। कई बार लोग सिरदर्द, बेचैनी या थकान की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, लेकिन असली वजह उनकी सोने की गलत आदतें होती हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि जब मुंह और नाक कंबल के अंदर ढक जाते हैं, तो ताजा हवा का प्रवाह रुक जाता है। इसके चलते शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है। इसका असर नींद की गुणवत्ता पर पड़ता है और दम घुटने जैसा एहसास, नींद का बार-बार टूटना और सुबह उठने पर भारीपन महसूस होता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अच्छी और गहरी नींद के लिए शरीर को हल्के ठंडे वातावरण की जरूरत होती है। लेकिन चेहरा ढककर सोने से कंबल के अंदर गर्मी बढ़ जाती है, जिससे पसीना, बेचैनी और बार-बार करवट बदलने की समस्या होती है। इससे नींद पूरी नहीं हो पाती और दिनभर थकान, चिड़चिड़ापन और ऊर्जा की कमी बनी रहती है। इसके अलावा, त्वचा पर रैशेज, जलन और एक्जिमा जैसी समस्याएं भी उभर सकती हैं।
डॉक्टरों ने एक 42 वर्षीय मरीज का उदाहरण देते हुए बताया कि वह सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और सांस लेने में परेशानी की शिकायत लेकर आया था। जांच के दौरान पता चला कि वह रोज चेहरा ढककर सोता था। सोने की आदतें बदलते ही उसकी परेशानी में सुधार आने लगा।
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विशेषज्ञों का कहना है कि अस्थमा, स्लीप एप्निया या लंबे समय से नाक बंद रहने की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए चेहरा ढककर सोना और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। कंबल के अंदर व्यक्ति अपनी ही छोड़ी हुई हवा दोबारा सांस में लेता है, जिससे सुबह सिर भारी लगता है और शरीर तरोताजा महसूस नहीं करता।
इसलिए सर्दियों में भी सोते समय कमरे में हल्का वेंटिलेशन बनाए रखना और चेहरा खुला रखकर सोना सेहत के लिए बेहतर माना जाता है।