चुनाव बहिष्कार पर नक्सलियों में मचा घमासान
बड़े नक्सली नेता सोनी सोरी और कामेश्वर बैठा के समर्थन की कर रहे अपील। निचला काडर चुनाव बहिष्कार की नीति से हटने को तैयार नहीं।
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Publish Date: Tue, 01 Apr 2014 09:59:21 PM (IST)
Updated Date: Wed, 02 Apr 2014 01:00:43 PM (IST)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। संसदीय शासन प्रणाली को उखाड़ फेंकने के लिए खूनी संघर्ष कर रहे नक्सलियों में इस बार चुनाव बहिष्कार के मुद्दे पर आपस में घमासान शुरू हो गया है। बड़े नक्सली नेता छत्तीसगढ़ में सोनी सोरी और झारखंड में कामेश्वर बैठा को चुनाव में समर्थन करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन अब तक चुनाव बहिष्कार की घुट्टी पीता आ रहा निचले स्तर का नक्सली काडर इसे मानने को तैयार नहीं है। चुनावी राजनीति में आने से पहले बैठा खुद नक्सली थे, जबकि सोनी सोरी पर नक्सलियों के लिए एक कारपोरेट घराने से करोड़ों रुपये की लेवी लेने का आरोप है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिली खुफिया जानकारी के अनुसार अबुझमाड़ के घने जंगलों में छिपे नक्सलियों के एक वरिष्ठ नेता अपने काडरों को सोनी सोरी और कामेश्वर बैठा को समर्थन करने की अपील कर रहे हैं। सोनी सोरी 'आप' के टिकट पर बस्तर से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि पिछली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर पलामू से जीतने वाले बैठा इस बार तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। बैठा भाजपा में आने की भी कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी नक्सली पृष्ठभूमि इसमें आड़े आ गई।
खुफिया रिपोर्टों के अनुसार बड़े नक्सली नेता की अपील के बावजूद निचला काडर चुनावी राजनीति में सक्रिय होने को तैयार नहीं है। नक्सली इलाकों में वे आम जनता से पिछले चुनावों की तरह बहिष्कार की अपील में जुटे हैं। निचले काडर ने साफ कर दिया है कि चुनावी राजनीति के कीचड़ में फंसना खूनी संघर्ष के मूल उद्देश्य से भटकाव है। वैसे पिछले चुनाव में भी चुनावी बहिष्कार की अपील और वोट डालने के निशान वाली उंगली काटने की धमकी के बावजूद नक्सली प्रभाव वाले इलाकों की जनता ने कामेश्वर बैठा के पक्ष में मतदान किया था।