आलीराजपुर। एक रिपोर्ट में मप्र के आदिवासी बहुल जिले आलीराजपुर को भारत का सबसे गरीब जिला बताया गया है। कहा गया है कि यहां की 76.5 प्रतिशत आबादी गरीब है। साथ ही गरीबी और भुखमरी के मामले में इस जिले की स्थित अफ्रीका के सिएरा लियोन जैसी है, जो दुनियाभर में अपनी दुर्दशा के लिए कु ख्यात है।
दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ओपीएचआई द्वारा प्रकाशित ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स 2018 में यह बात सामने आई है। आलीराजपुर जिले के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 76.5 लोग यहां बेहद गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, बिजली, पेयजल, शौचालय, ईंधन, रहन-सहन जैसे पैमानों पर इस जिले में सर्वाधिक सुविधाओं का अभाव है। यह इंडेक्स वर्ष 2015-16 के आधार पर तैयार कि या गया है।
आकलन का यह पैमाना
ग्लोबल एमपीआई जिसे सर्वप्रथम वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवपलमेंट इनिशिएटिव (ओपीएचआई) द्वारा विकसित कि या गया था। इसमें मुख्यत: 10 संके तकों पर एमपीआई का आकलन होता है। इनमें पोषण, स्वच्छता, आवास व स्कू ल में व्यतीत कि ए गए वर्ष शामिल हैं। ये 10 संके तक तीन श्रेणियों में विभाजित हैं।
इनमें स्वास्थ्य श्रेणी में पोषण तथा शिशु मृत्युदर, शिक्षा की श्रेणी में स्कू लिंग वर्ष व स्कू ल में उपस्थिति और रहन-सहन के मामले में ईंधन, शौचालय, पेयजल, बिजली, आवास व संपत्ति जैसे पैमाने शामिल हैं। ग्लोबल एमपीआई मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी के आकलन के लिए अल्कायर-फॉस्टर पद्धति का इस्तेमाल करता है। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति द्वारा एक या अधिक अपवंचना का अनुभव के आधार पर गरीबी का आकलन कि या जाता है।
इनका कहना है
फिलहाल मैंने इस रिपोर्ट को नहीं देखा है। ऐसे में अभी इस पर कुछ कह नहीं सकता हूं।
-गणेश शंकर मिश्रा, कलेक्टर आलीराजपुर
उन्होंने कि स आधार पर सर्वे कि या है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। कु पोषण में हम मान सकते हैं। अशिक्षा भी एक प्रमुख वजह है। शिक्षा को लेकर अभी तक माहौल तैयार नहीं हुआ है, लेकि न 2003 से मैं विधायक हूं। इसके पहले और बाद की स्थिति की तुलना करें तो जिला बेहतर स्थिति में है।
-नागरसिंह चौहान, आलीराजपुर विधायक