अनूपपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
देश में कल्प वृक्ष गिन चुने हैं यह वृक्ष अनूपपुर जिले के नर्मदा तट के ग्राम सिवनी संगम पर मौजूद है जिस पर लोगों की अगाध आस्था है। कई वर्ष पुराना यह पेड़ अब स्थानीय ग्रामीणों के लिए पूजनीय हो गया है। लोग दूर-दूर से वृक्ष की जानकारी मिलने पर देखने आते हैं।
कल्पवृक्ष मूलतः अफ्रीका का
बताया गया कल्पवृक्ष के फल में प्रचुर मात्रा में मिटामिन बी और सी होता है। पत्तियों को वृक्क यानी गुर्दा रोग, अस्थमा एवं आंखों के रोग में उपयोग में लाया जाता है। बीजों को सुखाकर पीसकर लेप बनाकर जोड़ों का दर्द दूर करने में उपयोग किया जाता है। कल्पवृक्ष मूलतः अफ्रीका का है। पुष्पराजगढ़ विकासखंड के और डिंडौरी जिले के करंजिया ब्लॉक के गोरखपुर गांव के निकट सिवनी संगम गांव में यह वृक्ष अनगिनत वर्षों से लगा हुआ है।
ग्रामीणों की धार्मिक आस्था
ग्रामीणों के अनुसार यहां अगर सच्चे मन से प्रार्थना की जाती है तो ईश्वर की कृपा से मुराद पूरी होती है। वृक्ष तले शिवजी की मूर्ति भी स्थापित है लोग यहां तकलीफ होने पर आते हैं और कल्प वृक्ष से समस्या का निजात पाते है। बताया गया कल्पवृक्ष का वनस्पतिक नाम एडेन सोनिया डिजिडाटा है। इसकी ऊंचाई आयु के अनुसार बढ़ती रहती है। छाल नरम चिकनी लाल भूरे रंग की होती है। पत्तियां गहरी नीली नरम रोम युक्त होती है। फूल सफेद और फल पीले होते हैं। इसकी आयु 2,000 से 2,500 वर्ष होती है। पृथ्वी पर प्रथम वृक्ष के रूप में भी इसे माना जाता है। लगभग नौ महीने इसमें पत्तियां नहीं होती है।
फोटो लगाना है। 11 ए एन यू 36,37, 38 सिवनी संगम गांव में नर्मदा तट पर लगा हुआ कल्प वृक्ष