Anuppur News : अनूपपुर, नई दुनिया प्रतिनिधि। दो दिन पूर्व एक बार फिर से छग के मरवाही वन परिक्षेत्र में विचरण करते हुए दो हाथियों का समूह अनूपपुर जिले में आ गए हैं। दो हाथी का यह समूह जैतहरी वन परिक्षेत्र अंतर्गत चोलना बीट से सोननदी पार कर कोतमा वन परिक्षेत्र के पड़ौर बीट में रात गुजारे। सुबह होने के पूर्व सोननदी पार कर वन परिक्षेत्र जैतहरी के धनगवां बीट में पूरे दिन विश्राम किया। देर शाम जंगल से निकल कर जंगल के नजदीक ग्राम पंचायत क्योंटार के कुसुमहाई गांव पहुंचा।
दो ग्रामीणों के घर एवं खेतबाड़ी में घुसकर फसलों एवं सब्जियों को खाया। शुक्रवार की सुबह मुर्रा गांव से मोजर बेयर प्लांट के टावर नंबर तीन के पास सीमेंट कंक्रीट प्लेट की बाउंड्री तोड़कर प्लांट के अंदर स्थित एम डी प्लांट पहुंचकर दिन में विश्राम करता रहा। दो हाथियों का यह समूह शुक्रवार की रात किसी ओर प्रस्थान कर विचरण करेगा यह देर रात होने पर ही पता चल सकेगा।हाथियों के एक वार फिर से वापस आने तथा विचरण करने से जैतहरी,कोतमा एवं अनूपपुर तहसील के अनेको गांव के ग्रामीण भयभीत स्थिति में जीवन निर्वाह करने को बाध्य हो रहे हैं।
अनेकों ग्राम पंचायत के सरपंच एवं महत्वपूर्ण जन प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने प्रदेश एवं जिले के महत्वपूर्ण जन प्रतिनिधियों, जिला प्रशासन एवं वनविभाग से हाथियों के अनूपपुर जिले में निरंतर आगमन एवं विचरण करते हुए ग्रामीण जनों के खेत, घर, बाड़ी में नुकसान पहुंचाने तथा सात माह के मध्य दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतारने एवं अनेको ग्रामीणों को घायल करने की स्थिति में हाथियों को किसी भी तरह जिले से बाहर किए जाने तथा हाथियों के प्रवेश करने वाले स्थलों का परीक्षण कर हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए जल्द ही उपाय किए जाने की मांग की है।
जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रदेश एवं जिला के जनप्रतिनिधि,जिला प्रशासन एवं वनविभाग के द्वारा जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेकर इस विकराल समस्या के समाधान का वास्तविक हल निकालने में हीला-हवाली होती है तो ग्रामीण जन स्वयं कोई ना कोई उपाय निकालने को बाध्य होंगे इसके लिए प्रदेश जिला के जनप्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन,वनविभाग जिम्मेदार होगा।
ग्रामीणों को हाथियों द्वारा विगत सात माह के मध्य किए गए विभिन्न तरह के नुकसान पर मुआवजा की राशि वास्तविक नुकसान के अनुसार नहीं मिल पाने से आक्रोश व्याप्त होना देखा गया है।जिस पर कई बार बातचीत करने।पत्रों के माध्यम से मांग किए जाने के बाद भी किसी न किसी बहाने के कारण वास्तविक नुकसान की राशि अब तक न मिल पाने की बात कही गई है।