अशोकनगर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। मन कब मलीनता को प्राप्त हो जाता है हम समझ ही नहीं पाते, मन को मलिन होने से रोकने की आवश्यकता है और शरीर को शुद्ध करने के लिए तरह-तरह के साबुन-सोड़ा का प्रयोग करते रहते हैं। ये शरीर कभी साबुन सोड़ा से शुद्ध होने वाला नहीं है, उक्त आशय के उद्गार सुभाषगंज में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आर्यिका रत्न श्री आदर्शमति माताजी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति एक साधु महात्मा के पास पहुंचा और पूछने लगा कि आत्मा शुद्धी करने के लिए क्या करना पड़ता है महात्मा ने एक वर्ष के लिए कोई मंत्र दे दिया इसका जाप करें। जब व्यक्ति जाप कर महात्मा के पास लौट रहा था तब एक कचरा झाडे वाले ने महात्मा के कहने पर उस पर डाल दिया तो वह व्यक्ति उसे भला-बुरा कहते हुए साधु जी पास पहुंचता है तो वे पुनः उसे एक वर्ष के लिए भेज देते हैं। दूसरी बार भी भेज देते हैं तीसरी बार में उस व्यक्ति पर कचरा फेंका जाता है तो वह व्यक्ति कहता है कि हे भाई आपके कारण मुझे एक नहीं तीन वर्ष तक जप करने का सौभाग्य मिला, तब महात्मा कहते हैं कि अब तुम आत्म तत्व को समझ सकते हो अब मन में न तंरग है न उमंग है बस अंतरंग में डूबा रहता है आज तुम आत्मा शुद्ध की कला में पारंगत हो गए हो।
लोभ कषाया से बचने का उपाय करना है :
उन्होंने कहा कि हम शरीर को स्नान कराते रहते हैं जबकि मन को लोभ कषाया ने मलिन बना दिया है। लोभ कषाया के वशीभूत होकर धन के उपार्जन में जीव लगे रहते हैं। हम लोभ-लालच को बुरा मानते ही नहीं हैं व्यक्ति हर समय धन प्राप्त करने के उपक्रम में लगा रहता है उसकी कितनी आवश्यकता है कितने संग्रह से वह बहुत अच्छी तरह से रह सकता है इस ओर उसका ध्यान जाता कहां है बस वह तो ऐन-केन-प्रकारेण धन सम्पत्ति को एकत्रित करने में ही अपना बहुमूल्य समय निकाल देता है फिर भी धन की इच्छा नष्ट नहीं होती, जो धन पर लक्ष्य रखता है वह संसार में भ्रमण करता रहता है।
शांतिधारा दिवस के रूप में मनेगा निर्वाण कल्याणक :
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि मुनि पुंगव श्री सुधासागरजी महाराज के आह्वान पर देशभर में त्रयपद के धारी भगवान श्री शान्तिनाथ स्वामी का निर्वाण कल्याणक शान्तिधारा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन सभी मन्दिरों में विशेष कार्यक्रम के साथ जगत कल्याण की कामना के लिए वृहद मंत्रोच्चार के साथ महाशान्तिधारा होगी और भगवान के निर्वाण कल्याणक पर लाड़ू समर्पित किए जाएंगे।