
नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट। जिले का सबसे बड़ा शहीद भगतसिंह जिला अस्पताल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है, कभी प्रसूताओं के परिजनों से प्रसव के नाम पर रुपये की मांग कर उन्हें परेशान करने तो कभी उपचार में लापरवाही करना आम बात हो गई है। वहीं चिकित्सकों को गलत व्यवहार के चलते परिजनों के साथ विवाद भी लगातार हो रहा है।
इन सब के बीच एक बार फिर से ट्रामा सेंटर के प्रसूता वार्ड में बड़ी लापरवाही सामने आई है, यहां महिला रोग विशेषज्ञ व स्टाफ की लापरवाही से एक बच्चे की प्रसूता के पेट में ही जान चली गई है। इतना ही नहीं बच्चे का हाथ तक बाहर आ गया था। बच्चे की जान चले जाने और लापरवाही के बाद परिजनों ने नाराजगी जताकर जमकर प्रसूता वार्ड में प्रदर्शन किया और चिकित्सक व स्टाफ पर तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर वे मौके पर ही डटे रहे।
पीडि़त बैजेन्द्र डोंगरे वार्ड क्रमांक 14 ग्राम रट्टापायली निवासी ने बताया कि उसने अपनी पत्नी किरण डोंगरे को प्रसव पीड़ा होने पर एबुलेंस की मदद से सुबह करीब 11 बजे जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर के प्रसूता वार्ड में भर्ती कराया गया था।
यहां पर ड्यूटी चिकित्सक ने प्रसूता का चेकअप कर नार्मल डिलेवरी होने की बात कहीं जिसके बाद दूसरे दिन 12 नवंबर की सुबह करीब पांच बजे ड्यूटी स्टाफ ने बताया कि बच्चा पेट में ही मर चुका है। जिसके जब वे लोग मौके पर पहुंचे देखे तो बच्चे का हाथ निकल चुका था।
उन्होंने बताया कि इस दौरान हमनें बोले भी थे कि यदि नार्मल प्रसव नहीं हो पा रहा है, तो सीजर कर दीजिए लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया और अपनी मनमर्जी से उपचार किया गया जिससे बच्चे की पेट में ही मौत हो गई ये सीधे तौर पर चिकित्सक व स्टाफ की लापरवाही हैं।
प्रसूता के पेट में बच्चे की मौत के बाद नाराजगी जता प्रदर्शन कर रहे प्रसूता के पति व परिजनों ने बताया कि जब हमने प्रसूता की परेशानी को देखते हुए चिकित्सक ने सीजर किए जाने की बात कहीं उस दौरान न सिर्फ हमारे से गलत व्यवहार किया गया बल्कि सीजर के पांच हजार रुपये लगने की बात कहीं गई वहीं बच्चे की मौत होने का पता लगने के बाद भी ऑपरेशन करने में लापरवाही बरती गई जिससे मां की जान को भी खतरा बढ़ गया।
उन्होंने बताया कि एबुलेंस सरकार की निशुल्क योजना है बावजूद इसके रट्टापायली से जिला अस्पताल लाने के दौरान एबुलेंस के स्टाफ के द्वारा हमसें तीन सौ रुपये लिए गए हैं।