नईदुनिया, लामता बालाघाट (Balaghat News)। दो शावकों के साथ मादा तेंदुआ दिन दहाड़े जंगल से लगे नरसिंगा गांव में शिकार करने घुस रही हैं। चार दिन के भीतर मादा तेंदुआ ने एक बकरा, एक कुत्ते का शिकार किया है और दो कुत्तों को घायल कर दिया। जिसके बाद से गांव के लोग दिन में भी घर से बाहर निकलने डर रहे हैं।
दरअसल, मादा तेंदुआ इसके पूर्व चांगोटोला में सरपंच के मकान व थाना परिसर में घुसी गई थी। उसके बाद महकापाटा के जंगल समीप एक बछड़े का शिकार किया। वन विभाग ने चांगोटोला में वन चौकी समीप मादा तेंदुआ को पकड़ने पिंजरा लगाया था, लेकिन मादा तेंदुआ ग्राम नरसिंगा की तरफ आ गई है। दिन दहाड़े मादा तेंदुआ दोनों शावकों सहित गांव में घुसने से रोकने के लिए ग्रामीण पटाखे फोड़ रहे हैं।
चांगोटोला क्षेत्र में पिछले डेढ़ माह से एक मादा तेंदुआ अपने दो शावकों व एक नर तेंदुआ विचरण कर रहा है, इनमें से मादा तेंदुआ शावकों के साथ विचरण करते हुए नरसिंगा गांव तरफ आ गई है। मादा तेंदुआ शावकों के साथ में दिन दहाड़े गांव में शिकार करने घुस रही है। शुक्रवार को दोपहर 12 बजे मादा तेंदुआ दोनों शावक लेकर गांव में घुस गई और सुरेंद्र पिता विपतलाल साटे के एक बकरा का शिकार कर लिया।
गुरुवार को सुबह आठ से नौ बजे मादा तेंदुआ ने हरपाल सिंह वट्टी के पालतू कुत्ते का शिकार कर लिया। रविवार को तेंदुआ गांव में प्रवेश कर लिया और दो कुत्तों पर हमला करके घायल कर दिया। इस दौरान 30 से 40 ग्रामीणों ने डंडों की मदद से मादा तेंदुआ को भगाने का प्रयास किया गया। ग्रामीण हरपाल सिंह वट्टी, राजेंद्र साटे, किशोरी लाल कुंभरे, नेमीचंद सोनेकर, मुरली बाहेश्वर सहित अन्य ने वन विभाग से पिंजरा लगाकर मादा तेंदुआ को पकड़कर अन्यत्र जगह छोड़ने की मांग की हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि मादा तेंदुआ अपने शावकों के साथ 10 किलोमीटर के क्षेत्र में पिछले डेढ़-दो माह से विचरण कर रही है। ग्राम नरसिंगा में 165 मकान है और एक दिन में मादा तेंदुआ अपने शावकों के साथ चार बार शिकार करने के मकसद से प्रवेश कर चुकी है, इसके बाद से गांव के लोगों में दहशत है और वे दिन में भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। जिसके कारण गांव में पूरा सन्नाटा पसरा रहता है। यहां के लोग पटाखे फोड़कर तेंदुआ को गांव से दूर रखने का प्रयास कर रहे है और अपने मवेशियों को तबेले में बंद कर बाहर से कुंदी लगा देते हैं।
वन्य प्राणी विशेषज्ञ डा. आशीष बैद्य बताते है कि मादा तेंदुआ की उम्र अधिक होने से वह जंगल में शिकार करने योग्य नहीं होगी। इसलिए जंगल से लगे गांव में घुसकर शिकार कर रही है, इस समय वह अधिक गुस्से रहती है। ऐसे समय में लोगों को मादा तेंदुआ व उसके शावकों से दूर रहना चाहिए। वन विभाग पिंजरे में पकड़कर घने जंगल में छोड़ने का उपाय बेहतर साबित हो सकेगा। मादा तेंदुआ के शावक जब तक ढाई से तीन साल तक नहीं हो जाते, तब तक वह उनकी साथ रहती है।
ग्राम नरसिंगा में मादा तेंदुआ दिन में ही अपने शावकों के साथ प्रवेश कर रही है। ग्रामीणों को सतर्क रहने कहा गया है। साथ ही पटाखे फोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।
कृष्ण कुमार नामदेव, वन परिक्षेत्र अधिकारी, उत्तर सामान्य लामता।