योगेश कुमार गौतम, नईदुनिया, बालाघाट। भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने हाल ही में बाघों के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व को आदर्श निवास घोषित किया है। लगभग 140 बाघों वाले कान्हा में ऐसे कई बाघ हैं, जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं। दरअसल कान्हा में बाघों का अलग संसार है, जिससे ज्यादातर पर्यटक अनजान हैं। शरीर की बनावट, व्यवहार, टैरिटरी के आधार पर बाघों के नाम रखे गए हैं।
इसकी जानकारी रखने वाले पर्यटक, गाइड, जिप्सी चालक उन्हें इन्हीं नामों से पहचानते हैं। वैसे तो टाइगर रिजर्व प्रबंधन बाघों को इस तरह के नाम नहीं देता, लेकिन स्थानीय गाइड, रेंजर या बाघ प्रेमी इन्हें इनकी विशेषता और अलग गुण के कारण नाम देते हैं, जो इनके विस्थापन या मरण के बाद भी याद किए जाते हैं। कान्हा की बिजली, शर्मीली, डीजे, डीबी-3, एमवी-3 ऐसे ही बाघ हैं, जिनके नाम के पीछे दिलचस्प कहानियां हैं।
टेढ़ी पूंछ : अपनी पूंछ को एक तरफ झुकाकर चलने के कारण नौ साल की बाघिन का नाम ‘टेढ़ी पूंछ’ पड़ा। पर्यटकों के बीच टेढ़ी पूंछ काफी लोकप्रिय है। पूंछ टेढ़ी करके चलना इस बाघिन की आदत है। ऐसी चाल वह बचपन से चल रही है।
शर्मीली : अपने शर्मीले व्यवहार के कारण आठ साल की बाघिन शर्मीली के नाम से पहचानी जाती है। मुक्की रेंजर वीरेंद्र जामोर बताते हैं कि यह पर्यटकों को देखकर अक्सर छिप जाती है। इसकी झलक पाना पर्यटकों के लिए किस्मत की बात है।
बिजली : आठ साल की बिजली अपनी फुर्ती के लिए जानी जाती है। पर्यटकों की जिप्सी को देखते ही ये बाघिन बिजली की रफ्तार से दौड़ लगा देती है और पलक झपकते ही घने जंगल में ओझल हो जाती है। बिजली कान्हा में काफी लोकप्रिय है।
डीजे, डीबी : कान्हा में धवा झंडी (डीजे), दीवान बेहरा (डीबी) नामक फारेस्ट कैंप हैं। इस कैंप अथवा टेरिटरी एरिया में जन्म लेने के कारण बाघ/बाघिन को कैंप के संक्षिप्त नाम से पहचाना जाता है। इसी वजह से बाघों को डीजे, डीबी-3 नाम मिला।
एमवी : कान्हा में महावीर रोड है। इस वनक्षेत्र में जन्म लेने के कारण बाघ का नाम महावीर का संक्षिप्त नाम ‘एमवी’ दिया गया। इसी तरह छह महीने तक गले में कालर लगाने के कारण दो बाघों को ‘पट्टे वाला’ बाघ के नाम से पहचाना जाता है।
धवा झंडी फारेस्ट कैंप में जन्मी ‘डीजे’ कान्हा टाइगर रिजर्व की विशेष बाघिन है। लगभग 11 साल की डीजे कान्हा की ऐसी इकलौती बाघिन है, जिसने अपने जीवनकाल में पांच बार शावकों को जन्म दिया है। डीजे अब तक 12 से अधिक शावकों को जन्म दे चुकी है।
शर्मीली, बिजली डीजे के ही कुनबे की बाघिन है। शर्मीली के अभी तीन शावक हैं। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जब कोई बाघिन पहली बार शावक को जन्म देती है, तो उसे उसका पहला ‘लेटर’ कहा जाता है। डीबी-3 बाघिन, अपने कैंप के तीसरे लेटर में जन्मी बाघिन कहलाती है।