Balaghat News : योगेश कुमार गौतम, नईदुनिया, बालाघाट। ये खबर उन पालकों काे सचेत करने वाली है, जो निजी स्कूलों के आकर्षक विज्ञापनों में फंसकर अपने बच्चे का दाखिला करा देते हैं, लेकिन ये स्कूल नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। इससे हजारों बच्चों का भविष्य अधर में फंस गया है।
ये खुलासा तब हुआ, जब सरस्वती नगर बालाघाट स्थित दिल्ली पब्लिक किड्स स्कूल (डीपीएस) और वार्ड क्रमांक-28 स्थित किड्स क्लाउड स्कूल में कक्षा आठवीं तक पढ़ने वाले छह बच्चों का प्रवेश शासकीय वीरांगना रानी दुर्गावती उमावि, बालाघाट (सीएम राइज) ने निरस्त कर दिया। इनमें पांच छात्र डीपीएस (किड्स) स्कूल अौर एक छात्रा किड्स क्लाउड स्कूल से कक्षा आठवीं उत्तीर्ण हैं।
प्रवेश निरस्त करने के पीछे सीएम राइज स्कूल ने जो कारण सामने रखे हैं, उसने निजी स्कूलों के संचालन में प्रशासन, शिक्षा विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं। जानकारी के अनुसार, डीपीएस (किड्स) स्कूल और किड्स क्लाउड स्कूल को कक्षा आठवीं तक एमपी बोर्ड की मान्यता है, लेकिन स्कूल प्रबंधन खुद को सीबीएसई स्कूल से संबद्ध बताकर बच्चों के प्रवेश ले रहा है और नियम विरुद्ध बड़ी कक्षाएं भी संचालित कर रहा है। इतना ही नहीं, ये स्कूल अपने प्रचार-प्रसार में खुद को सीबीएसई संबद्ध स्कूल बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
इस वर्ष के शैक्षणिक सत्र में डीपीएस किड्स स्कूल और किड्स क्लाउड स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का अच्छे अंक के आधार पर सीएम राइज स्कूल में कक्षा नवमीं में प्रवेश हुआ था, लेकिन जब इन निजी स्कूलों द्वारा बच्चों की टीसी और अंकसूची सीएम राइज स्कूल को प्रदाय की गई, तो इन स्कूलों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
सीएम राइज स्कूल के प्राचार्य डा. युवराज राहंगडाले द्वारा 22 जून को जारी प्रवेश निरस्त पत्र में उल्लेख किया है कि कक्षा आठवीं बोर्ड पैटर्न परीक्षा 2023-24 में उत्तीर्ण होने की पोर्टल पर जनरेट स्कोर कार्ड और अंकसूची प्रस्तुत ही नहीं की गई है। इसके अलावा काउंटर साइन की कार्रवाई भी नहीं की गई है। साथ ही इन स्कूलों द्वारा सीबीएसई एफिलेशन नंबर का फर्जी इस्तेमाल किया जा रहा है।
सीएम राइज स्कूल में कक्षा नवमीं में प्रवेश के लिए जब उक्त छह बच्चों को प्रवेश देने संबंधी प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई और उच्च कार्यालय से जानकारी मांगी गई, तब ये सच्चाई भी सामने आई कि डीपीएस किड्स स्कूल और किड्स क्लाउड स्कूल सीबीएसई एफिलेशन नंबर का फर्जी इस्तेमाल कर रहे हैं।
हैरानी की बात है कि इन स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी बालाघाट द्वारा मान्यता प्रदान की गई है, जिसके आधार पर इन स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा पांचवीं और आठवीं के बच्चों को बोर्ड परीक्षा में शामिल करना अनिवार्य है, लेकिन किड्स क्लाउड स्कूल ने एमपी बोर्ड पांचवीं और आठवीं की परीक्षा ही नहीं ली है।
किड्स क्लाउड स्कूल ने इस साल कक्षा आठवीं की परीक्षा के त्रैमासिक और अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अंक ही पोर्टल पर दर्ज कराए हैं और वार्षिक परीक्षा के परिणाम में सभी बच्चों को अनुपस्थित दर्शाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किस आधार पर बच्चों को आठवीं में स्कूल प्रबंधन ने उत्तीर्ण किया है।
सीएम राइज स्कूल में कक्षा नवमीं में प्रवेश निरस्त होने के बाद से छह छात्र-छात्राओं के अभिभावक और स्वयं बच्चे मानसिक रूप से परेशान हैं। पालक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर एक पालक ने बताया कि उनका बच्चे डीपीएस स्कूल खुरसोड़ी के रजिस्ट्रेशन में पढ़ते थे। सीएम राइज में प्रवेश के दौरान पता चला कि डीपीएस स्कूल ने बच्चे की जो मार्कशीट और टीसी उपलब्ध कराई है, वह गलत है। डीपीएस सीबीएसई स्कूल है, ये सोचकर बच्चे का एडमिशन कराया था, लेकिन अभी पता चल रहा है कि वह एमपी बोर्ड मान्यता प्राप्त है। बच्चों का अगर नवमीं में एडमिशन नहीं हुआ, तो उनका साल बर्बाद हो जाएगा।
शहर में ऐसे कई निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जो पालकों को अंधेरे में रखकर प्रवेश ले रहे हैं। पालक ऐसे निजी स्कूलों के फर्जी प्रचार-प्रचार में फंसकर अपने बच्चों का दाखिला करा देते हैं। वार्ड क्रमांक-28 में संचालित किड्स क्लाउड स्कूल एमपी बोर्ड मान्यता प्राप्त स्कूल है और आठवीं तक कक्षाओं के संचालन की अनुमति है, लेकिन स्कूल प्रबंधन बेधड़क अपने फ्लैक्स में खुद को सीबीएसई स्कूल बताकर कक्षा दसवीं की टापर छात्राओं की तस्वीर लगाकर पालकों को भ्रमित कर रहा है।
जब इस संबंध में नईदुनिया ने किड्स क्लाउड स्कूल के संचालक से चर्चा की, तो उन्होंने अपनी अनियमितताओं को स्वीकार किया और इस विसंगति के पीछे भूल-चूक को कारण बता दिया। इसी तरह दिल्ली पब्लिक स्कूल के संचालक ने भी खुद के स्कूल को एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्वीकार करते हुए, ये स्वीकार किया कि ये स्कूल उनके ही दिल्ली पब्लिक सेकंडरी स्कूल के सीबीएसई एफिलेशन नंबर से संचालित हो रहा है।
कक्षा पहली से आठवीं तक के स्कूलों के संचालन का जिम्मा डीपीसी के अधीन है। इस मामले में भी आप डीपीसी से चर्चा करें।
अश्विनी उपाध्याय, जिला शिक्षा अधिकारी, बालाघाट
उक्त दोनों स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी ने मान्यता दी है, तो उन्हें ही स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करनी चाहिए। इस संबंध में कार्रवाई का अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी का है, क्योंकि वह जिले के शिक्षा विभाग के प्रमुख हैं। मैं सिर्फ कार्डिनेटर हूं। कलेक्टर महाेदय को फाइल भेेजकर मामले की जांच करानी चाहिए।
महेश शर्मा, डीपीसी, बालाघाट
जानकारी के अभाव में पिछले दो सत्र से बोर्ड पैटर्न में 5वीं व 8वीं की परीक्षा नहीं करा पाए हैं। ये चूक हुई है। हमारा स्कूल एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, सीबीएसई से नहीं। हमें आठवीं तक की अनुमति है, लेकिन फ्लैक्स में अपने स्कूल के प्रचार में नर्सरी से कक्षा नवमीं तक स्कूल संचालन करना दर्शाया है, जो गलत प्रकाशित हो गया है। इसे सुधारा जाएगा। दसवीं की जिन दो छात्राओं का फोटो प्रकाशित किया गया है, वह गुरुदेव इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की छात्राएं हैं।
संजय बोथरा, संचालक, किड्स क्लाउड स्कूल, बालाघाट
दिल्ली पब्लिक किड्स स्कूल एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, ये सही बात है, जो दिल्ली पब्लिक सेकंडरी स्कूल के सीबीएसई एफिलेशन नंबर से संचालित है। इस संबंध में अधिकारियों को जो जवाब देना होगा, दिया जाएगा। हमारे स्कूल के कुछ बच्चों का प्रवेशी सीएम राइज में निरस्त किया गया है, जिसे लेकर हमसे दस्तावेज मांगे गए थे, वो उपलब्ध करा दिया है।
सुजीत जायसवाल, संचालक, दिल्ली पब्लिक स्कूल, बालाघाट
नोट: इस संबंध में कलेक्टर डा. गिरीश कुमार मिश्रा से दो बार फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने दोनों बार फोन नहीं उठाया।