नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट। एक तरफ छिंदवाड़ा में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले से प्रदेशभर में हड़कंप है, तो बालाघाट में रविवार को इंजेक्शन खरीदी में घोटाले के आरोप ने जिला स्वास्थ्य विभाग में हलचल मचा दी है। मामला प्रसूताओं को आपात स्थिति में दी जाने वाली आक्सीटोसिन इंजेक्शन की खरीदी से जुड़ा है। अज्ञात पत्र से सीएमएचओ पर तीन रुपये के एक आक्सीटोसिन इंजेक्शन को 12 रुपये में खरीदकर अनियमितता का आरोप लगाया गया है। हालांकि, सीएमएचओ डॉ. परेश उपलप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि ये उन्हें बदनाम करने की सोची समझी साजिश है।
दरअसल, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की खरीदी से जुड़ा एक आरोप पत्र और बिल की तीन प्रतियां से विभाग के शीर्ष अधिकारियों पर आरोप लगाए गए हैं। खरीदी से जुड़े तीन बिल में दो बिल में सीएमएचओ स्तर से खरीदी के हैं, जिसमें 3.9 रुपये और 3.7 रुपये की दर पर खरीदी हुई है। जिसका क्रमश: 87,360 रुपये और 55,500 बिल है, लेकिन सिविल सर्जन स्तर के एक बिल में 12 रुपये प्रति इंजेक्शन की दर से खरीदा गया है।
सिविल सर्जन स्तर से जारी बिल में तीन रुपये के इंजेक्शन को 12 रुपये में खरीदने के सवाल पर सिविल सर्जन डॉ. निलय जैन ने बताया कि ये इंजेक्शन प्रसूताओं को दिया जाता है। ट्रामा सेंटर में रोजाना बड़ी संख्या में प्रसूताओं के प्रसव होते हैं। इस इंजेक्शन की सरकारी सप्लाई न होने के कारण अस्पताल में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की कमी थी। गायनोकोलाजिस्ट द्वारा लगातार इस इंजेक्शन की मांग की जा रही थी। प्रसूताओं के त्वरित उपचार के लिए इन इंजेक्शन की लोकल पर्चेसिंग की गई थी। इसके लिए तीन कोटेशन मांगे गए थे। जिसमें कम दर पर खरीदी की गई थी। मार्केट में आक्सीटोसिन का एक इंजेक्शन 16 से 17 रुपये में मिलता है। इंजेक्शन खरीदी में अनियमितता जैसे आरोप बेबुनियाद हैं।
सिविल सर्जन स्तर: 2750 इंजेक्शन 12 रुपये की दर से 36,960 रुपये में खरीदे गए
सीएमएचओ स्तर: 20,000 इंजेक्शन 3.9 रुपये की दर से 87,360 में खरीदे गए। (जीएसटी सहित)
सीएमएचओ स्तर: 15,000 इंजेक्शन 3.7 रुपये की दर से 62,160 में खरीदे। (जीएसटी सहित)
शिकायत पत्र के साथ संलग्न तीन बिल के संबंध में सीएमएचओ डॉ. परेश उपलप और सिविल सर्जन डॉ. निलय जैन का कहना है कि उन्हें आरटीआई या माध्यम से बिल की कापी मांगे जाने से जुड़ा कोई आवेदन नहीं मिला। उन्होंने किसी भी व्यक्ति को बिल की कापी नहीं दी, न उपलब्ध कराई है। ऐसे में इन बिल का सार्वजनिक होना बड़ा सवाल खड़े कर रहा है। यानी विभागीय अधिकारी ही बिल को सार्वजनिक करने में लगे हैं। अधिकारी अब इस मामले की जांच करने की बात कह रहे हैं।
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बालाघाट सीएमएचओ डॉ. परेश उपलप ने कहा कि सीएमएचओ स्तर पर निर्धारित दर में ही उक्त इंजेक्शन की खरीदी की गई है। ये बिल में स्पष्ट भी है। ऐसे निराधार आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की साजिश रची गई है। पूर्व में भी स्थानांतरण के मामले में मुझ पर अनर्गल आरोप लगाए गए थे। इंजेक्शन की खरीदी की दर में अंतर सिविल सर्जन स्तर के बिल में है, लेकिन आरोप मुझ पर लग रहे हैं। किसी ने भी सूचना के अधिकार के तहत न मुझसे, न सिविल सर्जन से बिल नहीं मांगा था, फिर भी बिल बाहर कैसे हो गए। इस मामले की जांच कराई जाएगी।