बड़वानी, नईदुनिया प्रतिनिधि। बड़वानी जिला मुख्यालय पर नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा मंगलवार को जन संसद का आयोजन किया गया। यह आयोजन आंदोलन के 36 वर्ष पूर्ण होने पर किया गया। इसमें नई दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े किसान नेताओं ने शामिल होकर नर्मदा घाटी में चल रहे अनवरत संघर्ष के समर्थन में अपनी बात रखी। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मैं यहां कोई संदेश देने नहीं आया हूं बल्कि आंदोलनों की इस कर्मभूमि को प्रणाम करने आया हूं। उन्होंने कहा कि हम यहां के लोगों से 36 वर्षों से चल रहे इस आंदोलन के अनुभव सुनने आए हैं। उन्हीं के अनुभव के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे।
टिकैत ने कहा कि सरकारें बात कर के आंदोलन को तोड़ने का काम करती है। सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों का राज करवाना चाहती है। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को भी सही रूप से लागू नहीं किया गया है। क्या किसी को यदि दुकान खोलना हो तो कोई फ्री में देगा? क्या कोई बीजेपी का नेता किसान कार्यालय खोलने के लिए अपना घर 5 साल के लिए फ्री में दे देगा? अनुशंसा में लागू करने में जमीन का किराया नहीं जोड़ा गया, उसमें किसान की मजदूरी नहीं जोड़ी गई। यह देश को गुमराह करने का कार्य है। यह सरकार किसी विचारधारा की सरकार नहीं है, यह बड़ी कंपनियों की सरकार है।
पहले कोई एक संगठन आंदोलन करता था तो उससे बात कर लेते थे लेकिन आज पूरे देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस संगठन से जुड़े हैं। इसमें 550 किसान संगठनों के 40 सदस्य हैं जो टूटेगा नहीं। इसके पीछे देश की जनता का बैकअप है। इसमें मछुआरा, नाविक, किसान, मजदूर सब शामिल है। जिसने कभी दिल्ली नहीं देखी वह भी इस आंदोलन में शामिल है। यह एक जन आंदोलन है। इसको कोई नहीं तोड़ सकता। कार्यक्रम को नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव सहित अन्य ने भी संबोधित किया। वहीं जन संसद आयोजन के पूर्व शहर में रैली निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में डूब प्रभावितों सहित ग्रामीण शामिल हुए।
सभा शुरू होने के पहले गिरा पंडाल
जन संसद आयोजन के लिए कृषि उपज मंडी में बना पंडाल हवा व बारिश के चलते सभा शुरू होने के पहले ही गिर गया। इसके बाद अन्य स्थान पर मंच बनाया गया।