Rinmukteshwar Mahadev Rajghat: 'ऋणमुक्तेश्वर' को कौन करेगा डूब से मुक्त?
Rinmukteshwar Mahadev Rajghat: मंदिर वर्ष में छह से आठ माह तक सरदार सरोवर परियोजना के बैक वाटर में डूबा रहता है।
By Prashant Pandey
Edited By: Prashant Pandey
Publish Date: Tue, 27 Jul 2021 09:13:29 AM (IST)
Updated Date: Tue, 27 Jul 2021 09:19:47 AM (IST)

विवेक पाराशर, बड़वानी, Rinmukteshwar Mahadev Rajghat। सरदार सरोवर परियोजना के प्रभावित आज भी अपने हक-अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं जिला मुख्यालय के समीप राजघाट स्थित मंदिरों सहित अन्य कई मंदिरों का अब तक पुनर्वास नहीं हुआ है। इनमें राजघाट का करीब 41 वर्ष पुराना ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर भी है। अब तक पुनर्वास ना होने से यह वर्ष में छह से आठ माह तक सरदार सरोवर परियोजना के बैक वाटर में डूबा रहता है। ऋणमुक्तेश्वर सहित अन्य मंदिरों को फिलहाल डूब से मुक्त का इंतजार है। दो वर्षों से सरदार सरोवर बांध को निर्धारित पूर्ण क्षमता 138.600 मीटर तक भरा जा रहा है। इससे बैक वाटर राजघाट के आसपास तीन किमी तक फैलता है। सामान्यत: बैक वाटर छह-आठ माह जमा रहता है। इसमें राजघाट मंदिर भी जलमग्न रहते हैं। इनके पुनर्वास को लेकर प्रयास तो किए गए लेकिन अब तक वे नाकाफी सिद्ध हुए है।
नर्मदा तट पर मिले जमीन
राजघाट स्थित प्राचीन श्रीदत्त मंदिर के पुजारी पं. सचिन शुक्ला ने बताया कि राजघाट में ऐसे सात मंदिर हैं, जिनका पुनर्वास नहीं हुआ है। इसके लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा बसाहटों में भूखंड दिए जा रहे हैं। हमारी मांग है कि बैक वाटर की अधिकतम सीमा के बाहर जमीन दें ताकि सारे मंदिर नर्मदा तट पर ही रहें। पूर्व कलेक्टर को चार एकड़ में मंदिर बनाने की योजना के दस्तावेज सौंपे हैं।
बसाहट में है भूखंड
एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री एसपी मंडरा ने बताया कि मंदिरों के पुनर्वास के लिए बसाहटों में भूखंड उपलब्ध है। बैक वाटर किनारे जमीन अधिग्रहित नहीं की गई है। इसके लिए उच्च स्तर से ही फैसला हो सकता है।