नईदुनिया-एक्सक्लूसिव
- अधिकांश पुस्तकों व नेट पर कई जगह गलत जानकारी उपलब्ध
- घटना स्थल के अभिलेख बताते हैं सच
विवेक पाराशर. नईदुनिया बड़वानी।
इतिहास की प्रमुख घटनाओं में शामिल चौरी-चौरा कांड की तारीख को लेकर नई जानकारी सामने आई है। वर्तमान में अधिकांश पुस्तकों व नेट पर उपलब्ध जानकारियों में चौरी-चौरा कांड की तिथि पांच फरवरी अंकि त है, जबकि गोरखपुर उप्र के चौरी-चौरा में लगे शिलालेख व जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर यह तिथि 4 फरवरी अंकि त है। यह जानकारी पुस्तकालय विशेषज्ञ प्रीति गुलानिया व एसबीएन पीजी कॉलेज के इतिहास विषय के प्रोफे सर डॉ. मधुसूदन चौबे ने दी।
पुस्तकालय विशेषज्ञ प्रीति गुलवानिया ने बताया कि वर्षों से इतिहास की कि ताबों में एक तथ्य गलत लिखा जा रहा है और वही कक्षाओं में पढ़ाया जा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस घटना के संबंध में यह त्रुटि लगभग सौ सालों से जारी है, उसके घटना स्थल पर लगे शहीद स्मारक पर 4 फरवरी अंकि त है। गोरखपुर जिले की अधिकृत वेबसाइट पर जिले के पर्यटन स्थलों की जानकारी देते हुए स्पष्ट रूप से इसकी तारीख 4 फरवरी बताई गई है। इसके बावजूद यह गलती एक सदी से अधिकांश कि ताबों और कक्षाओं में दोहराई जा रही है।
यह है चौरी-चौरा कांड
इतिहास के सह प्राध्यापक डॉ. मधुसूदन चौबे ने बताया कि उन दिनों महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चल रहा था। पूरे देश में जबरर्दस्त उत्साह था। गांधीजी की शर्त थी कि आंदोलन में हिंसा का सहारा नहीं लिया जाएगा। तब ही गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा में 4 फरवरी 1922 को आंदोलनकारियों द्वारा थाने को आग लगा दी जाती है। इसमें थानेदार गुप्तेश्वर सिंह और 21 अन्य सिपाहियों की जिंदा जल जाने से मृत्यु हो जाती है। इस घटना की सूचना पंडित दशरथ प्रसाद द्विवेदी पत्र से गांधीजी को देते हैं। सूचना मिलने पर बापू ने 12 फरवरी को असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया था।
दोनों के हैं स्मारक
डॉ. चौबे ने बताया कि चौरी-चौरा में उन 22 पुलिसकर्मियों का भी स्मारक है, जिन्हें जिंदा जला दिया गया था। साथ ही उन शहीदों का भी स्मारक है, जिन्होंने यह घटना की थी और जिन्हें अंग्रेज सरकार ने फांसी की सजा सुनाई थी।
05बीएआर-65 : चौरी-चौरा कांड को लेकर लगे शिलालेख में तिथि चार फरवरी अंकि त है।
05बीएआर-66 : गोरखपुर जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर भी चार फरवरी का ही उल्लेख है।
05बीएआर-67 : इतिहास की पुस्तक।
05बीएआर-68पुस्तक में चौरी-चौरा कांड की तारीख पांच फरवरी अंकि त है।