बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिले की मुलताई तहसील में आने वाले ग्राम सालबर्डी में प्राचीन बौद्ध संपदा मौजूद होने का दावा जयवंती हॉक्सर शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय बैतूल के प्रोफेसर एवं बॉयोटेक्नालॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुखदेव डोंगरे ने किया है। इसे लेकर वे जल्द ही शोध पत्र भी प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रो. डोंगरे ने बताया कि सालबर्डी गांव में गुफा है जिन्हें हीनयान बौद्धों द्वारा बनाया गया और बाद में महायान बौद्धों ने इस पर कब्जा कर लिया। सालबर्डी में प्राचीन बौद्ध गुफाएं हैं जिनमें से एक गुफा के गर्भगृह में कमल पर बैठे बुद्ध की कलाकृति है। बुद्ध का चेहरा क्षतिग्रस्त है। सालबर्डी में पद्मपानी एवं वज्रपानी बुद्ध की मूर्ति मौजूद है। सालबडी में और दो बौद्ध गुफा मौजूद हैं। जिसमें से एक बौद्ध गुफा पूर्ण विकसित तथा एक बौद्ध गुफा अधूरी है।
प्रो. डोंगरे का दावा है कि 5 वीं शताब्दी में बनी बौद्ध की 3 गुफाएं मौजूद हैं। गुफा के बाहर भीतर और आस-पास बौद्धकालीन शिल्पकला एवं बुुद्ध की मूर्तियां मौजूद हैं। गुफा के नीचे एक बौद्धकालीन कुआं भी है जिसमें पूरे साल भर पानी रहता है। बौद्ध गुफाओं के आस-पास, सालबर्डी में पद्मपानी एवं वज्रपानी बुद्ध की मूर्ति मौजूद हैं। प्राचीन बौद्ध स्तूप भी है। चार एकड़ रकबे में बना एक बौद्धविहार है उस बौद्ध विहार में दीवार के बाहर, अंदर, परिसर भगवान बुद्ध से संबंधित धम्म चक्र अन्य बौद्धकालीन शिल्प कलाकृति पद्मपानी तथा वज्रपानी बुद्ध की प्रतिमा मौजूद है। प्राकृृतिक गुफा की ओर जाने के लिए सीढ़ियां भी बनी हुई हैं। प्राकृतिक गुफा के आस-पास बुद्ध से संबंधित शिल्प कलाकृति साक्ष्य प्रमाण मौजूद हैं। प्रो. डोंगरे के अनुसार सालबर्डी की बौद्ध विरासत को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पुरातत्व विभाग के अधीन कर संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। सालबर्डी के ग्रामीण पूर्व सरपंच उषा मणिकर, पूर्व सरपंच जयवंती नागले, सरपंच सुखदेव मणिकर, अजाब मणिकर, रवि नागले, दिलीप खातरकर, महेंद्र खातरकर आदि से भी सालबर्डी में बौद्ध संपदा होने का समर्थन किया है।