
Pandit Pradeep Mishra Katha: बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। अपनी आय बढ़ाने के बारे में तो हर व्यक्ति सोचता है, लेकिन अपनी आयु बढ़ाने के बारे में कोई नहीं सोचता। सबसे ज्यादाजरुरी है अपनी आयु को बढ़ाना। यदि आयु ही नहीं रहेगी तो हम जो धन-दौलत, संपत्ति कमाएंगे, उसका क्या करेंगे? उन्होंने कहा किगरीबों के सुख-दुख में शामिल होने से आयु बढ़ती है। यह महत्वपूर्ण सीख प्रख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने बैतूल में चल रहीमां ताप्ती शिवपुराण कथा के छठवें दिन अपने प्रवचन में दी। इस कथा का आयोजन मां ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान मेंकोसमी स्थित शिवधाम किलेदार गार्डन में किया जा रहा है।
कथा के छठवें दिन कथा सुनने के लिए अपार जन सैलाब उमड़ा। शनिवार को शुक्रवार से भी अधिक श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे। पूरा कथास्थल तो खचाखच भरा हुआ था ही, फोरलेन पर बैठकर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा सुनी। भक्तों की यह आस्था और भक्तिदेख कर पं. मिश्रा भी बेहद प्रसन्ना हुए। उन्होंने कथा सुनाते हुए इस पर प्रसन्नाता भी व्यक्त की और भक्तों को आशीर्वाद भी प्रदान किया।
इस तरह से बढ़ेगी आय और आयु
पंडित प्रदीप मिश्रा ने शनिवार को कथा में आय और आयु दोनों ही को बढ़ाने के तरीके भी बताए। उन्होंने कहा कि आयु बढ़ाने का सबसे उचितमार्ग यह है कि हम साधारण और गरीब लोगों के सुख-दुख में शामिल हो। हम इनके बीच, इनके साथ खड़े रहना सीख गए तो हमारीआयु बढा तय है। उनको आपके धन, दौलत की नहीं बल्कि साथ की जरुरत होती है। वहीं आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कर्म करने कीसीख दी। उन्होंने कहा कि परमात्मा किसी को गरीब बनाकर नहीं भेजता। करोड़ों रुपये कीमती शरीर के साथ भेजता है। आय बढ़ाने केलिए हमें स्वयं को पहचान कर कर्म करना पड़ेगा। महादेव की भक्ति करों और कर्म करों, तो निश्चित रूप से आय भी बढ़ेगी।
हमेशा एक से रहें, अहंकार न लाएं
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हमें जीवन में हमेशा एक सा रहना चाहिए और खुद में कभी अहंकार नहीं लाना चाहिए। सुख के दिन हो या दुख के, हमें एक जैसे रहना चाहिए। हमें पक्षियों से भी सीखना चाहिए। वे अपनी वाणी, अपना धर्म, अपना स्वाभाव कभी बदलते नहीं। ऐसा नहींकि उनके जीवन में दुख नहीं आते पर वे कभी नहीं बदलते। ऐसे ही हमें भी अचानक संपत्ति आ जाने पर या दुख आ जाने पर अपनी वाणीऔर स्वाभाव नहीं बदलना चाहिए। चोर को हम नहीं पहचान पाते, लेकिन चोर हमारे गले में पहना आभूषण को पहचान लेता है कि वहअसली है या नकली। उसी तरह परमात्मा की भी हम पर सदैव दृष्टि रहती है। हम संसार को प्रसन्ना करने का प्रयास न करें, बल्कि भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करें। वे प्रसन्न हो गए, हमने उनको पकड़ लिया, उनकी चरण रज हमें मिल गई तो संसार हमसे खुदप्रसन्ना हो जाएगा। धन, वैभव, सत्ता की गर्मी तो एक दिन समाप्त हो जाती है पर भजन और भक्ति की गर्मी कभी खत्म नहीं होती है।
निंदा करने वालों से करें मित्रता
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भजन करने के लिए हमें भगवान के चरणों में जाना होता है। वहां से जो बल मिलता है वह हमारा जीवन संवार देताहै। उन्होंने आगे कहा कि इस मृत्यु लोक में हम आए हैं तो जीवन का भरपूर आनंद उठाएं, खुश रहें ताकि जीवन को लेकर कोई अफसोसन रहे। कभी रोकर जिंदगी न बिताएं। यदि कभी कोई दुख आए तो याद रखना कि महादेव ने कोई दुख दिया है तो उसे दूर भी वहीकरेगा। हम क्यों रोएं, किसके लिए रोएं। कितनी भी धन दौलत हो, उसे कोई साथ लेकर नहीं जाता है। जीवन में निंदा में करने वाले सेमित्रता जरुर करना चाहिए। वह हमारी कमियां बताएगा, सामने लाएगा।
प्रेम और प्यार में बताया अंतर
शनिवार की कथा में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने प्रेम और प्यार में अंतर भी बताया। उन्होंने कहा कि प्रेम में त्याग होता है, समर्पण होता है, करूणा और वात्सल्यता होती है। माता-पिता अपने बच्चों से और भाई-बहन एक-दूसरे से करते हैं। शादी वाला जो प्यार होता है वहस्वार्थ होता है। हमें 9 महीने कोख में पालने वाली मां और पालन-पोषण करने वाले माता-पिता के जो बेटा-बेटी नहीं हुए वे एक-दूसरे के क्या हो सकेंगे? इसलिए ऐसे प्यार के हश्र हम देखते ही रहते हैं। इसलिए जीवन में सदैव माता-पिता के कहे अनुसार चले, उनकी हर आज्ञा का पालन करें।