बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। संस्कार भारती अपनी आठों विधाओं से सम्पूर्ण समाज को संस्कारित करने का कार्य कर रही है, यह प्रमाणित करता है कि संस्कार भारती के कार्यकर्ता, उधाभाव के साथ अपना कार्य कर रहे है। यह बात पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल ने विनायक शिशु, विद्या मंदिर सिविल लांइस में आयोजित आनंद मेले कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त की। इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद एवं प्रांत कोषाध्यक्ष भाजपा हेमंत खंडेलवाल, मोहन नागर क्षेत्र प्रमुख वनवासी शिक्षा, विद्या निर्गुडकर, सेवानिवृत्त निदेशक आकाशवाणी, प्रा. हेमंत देशपाण्डे क्षेत्र प्रमुख विश्व मंगलसभा, एम.एल. कुशवाह प्रान्त सह महामंत्री संस्कार भारती, श्याम राव म्हस्की अध्यक्ष बैतूल इकाई मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत भारती आवासीय विद्यालय के सचिव मोहन नागर ने कहा कि हमें जो इतिहास पढ़ाया गया था, वह पराधीनता का था, परंतु स्वतंत्रता के इतिहास के नायक एवं महानायकों को बिसरा दिया गया। परिणाम यह हुआ कि हमारे समाज ने आक्रांताओं को ही नायक मान लिया, बधाों ने ़फिल्म के कलाकारों को ही नायक और महानायक मान लिया। आगे श्री नागर ने कहा कि हमें जो इतिहास पढ़ाया गया इसके कारण भारत का स्वाभिमान गिरा तथा देश के अन्दर अनेक प्रकार की समस्याएं खड़ी हुई। उन्होंने कहा हमें उन्हें देश का स्वाभिमान वापस करना होगा।
संपूर्ण भारत में सक्रिय संस्कार भारती
इस अवसर पर संस्था के प्रांत सह महामंत्री ने कहा कि संस्कार भारती 1981 में स्थापित हुई तथा आज संपूर्ण भारत के सभी प्रांतों में सक्रियता से कार्य कर रही है। कोरोना काल में भी अनेक सेवा कार्य किये गए। संस्था मुख्य रूप से आठ विधाओं में कार्य कर रही है। इनमें संगीत (नृत्य, गायन, वादन), साहित्य, नाट्य, भू -अलंकरण, चित्र कला, लोक कला, पुरातत्व, दृश्य, श्रव्य आदि विधाओं के माध्यम से भारत का गौरव समाज के समक्ष प्रकट करना, ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखना, सम्हालना एवं पूर्ण स्थापना करना। समस्त कलाओं के कलाकारों को खोजना तथा उनको कलाओं के साथ उन्हें मंच प्रदान करना।
पूर्वजों की देन है हमारी संस्कृति
पूर्वजों ने हमें परंपराओं के द्वारा संस्कृति दी थी उस संस्कृति को हमने आक्रान्ताओं के प्रभाव में आकर भूला दिया, जो कि सारी की सारी वैज्ञानिक आधार पर थी। उन्हें पुनर्जिवित करना तथा घर घर तक पहुचाना हमारा लक्ष्य है। हमने अभी-अभी कोरोना काल में अनुभव किया, जिन परिवारों ने खान-पान में व्यवहार में उन परंपराओं का पालन किया वे सभी स्वस्थ रहे तथा दूसरों को भी बचाया। संस्कार भारती काला संस्कारों को प्रत्येक परिवार, प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना है। संस्कार भारती की पूर्व अध्यक्ष विद्या निर्गुडकर ने कहा कि संगीत कला (नृत्य,गायन,वादन) या अन्य कलाए नित अभ्यास से सिद्घ होती है। व्यक्ति पवित्र तथा संस्कारित होता है। उसके आनंद की अनुभूति अभ्यास से ही हो सकती है। अंत में राघवेंद्र सिसोदिया द्वारा राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कविता पाठ किया। वंदेमातरम के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ, आभार उत्तमराव ठाकरे ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन ह्वी.डी त्रिपाठी सारणी ने किया।
स्वादिष्ट व्यंजनों का लिया आनंद
आनंद मेले का सभी उपस्थित अतिथियों तथा सदस्यों द्वारा स्वादिष्ट व्यंजनों का भरपूर आनंद लिया। उपस्थित सदस्यों में प्रमुख रूप से अम्बादास सूने, योगेंद्र सिंह, संतोष प्रजापति, पवन मेहरा, श्रीपाद निर्गुडकर, ह्वीआर वाघमोड़े, राजेंद्र साहू, लोकनाथ साहू, एनएस नगदे, जितेंद्र सिंह, यश कुशवाह, प्रवीण धुर्वे, प्रताप धुर्वे, विवेक उबनारे, मिनाक्षी शुक्ला, झमला भलावी, रीता वरठी सहित लगभग 170 लोग उपस्थित रहे।