बैतूल। चाहे कोरोनाकाल हो या वर्तमान समय की अन्य चुनौतियां हों इन सभी का पत्रकारों ने डटकर मुकाबला किया है। इसके बाद भी जब पत्रकारों की नैतिकता पर सवाल खड़े किए जाते हैं तो ये सोचना जरूरी है कि हर पेशे में गिरावट है। जब पूरा समाज सुधरेगा तो मीडिया जगत से भी कमियां दूर होंगी। यह बात भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बैतूल के बटामा स्थित ब्रम्हकुमारीज आश्रम के भाग्यविद्याता भवन में समाधान परक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की ओर विषय पर आयोजित अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा कि एक बात की प्रशंसा की जानी चाहिए कि जिस तरह का संवाद आदिवासी जिले बैतूल में हो रहा है वैसे संवाद आमतौर पर महानगरों तक ही सीमित होते है। पत्रकारिता पर विचार विमर्श वास्तव में निचले स्तर पर होना चाहिए। लोकतंत्र जब जन सामान्य के बीच निचले स्तर तक जाता है तभी सफल होता है। हकीकत यह है कि राजधानियों में कोई सुनने तैयार नहीं है। असली भारत के दर्शन अब छोटी जगहों पर ही होते है जहां आज भी आंखों में लिहाज और रिश्तें बरकरार है। भारत की संस्कृति हमेशा ही समाधान को खोजने वाली रही है। हम प्रश्नों से घबराने वाले लोग नहीं है। हमारे यहां शास्त्रार्थ की परम्परा रही है। कार्यक्रम में ब्रम्हाकुमारीज माउंट आबू के पीआरओ बीके कोमल, भोपाल विंग की मीडिया जोनल कोर्डिनेटर बीके डा रीना,राजेश बादल समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन एवं विचार संगोष्ठी के शुभारंभ पर ब्रम्हकुमारीज बैतूल की संचालिका मंजू बहन ने आए अतिथियों को पगड़ी और दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि 1991 के बाद भारत में सब कुछ बदल गया। उदारीकरण, भूमंडलीकरण जब लागू हुआ तो चमकीली प्रगति से भटकाव उत्पन्ना हुआ। आज व्यक्ति को सब कुछ स्मार्ट चाहिए, लेकिन मनुष्य सिर्फ मनुष्य नहीं है उसके पास मन भी है और मन का विचार भी जरूरी है। वरिष्ठ कर सलाहकार राजीव खण्डेलवाल ने कहा कि लेखन कार्य का वास्तविक श्रेय मीडिया को ही जाता है, इसमें कोई शंका नहीं है। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। उन्होंने कहा कि मीडिया राजनीतिक और सामाजिक दिशा तय करने में निर्वहन कर रहा है। कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए ब्रम्हाकुमारीज माउंटआबू के पीआरओ बीके कोमल ने कहा कि समाधान कारक कार्यक्रम में कई चीजें मौजूद हैं। आज के समय में पड़ोसी, शुभचिंतक भी मुसीबत खड़ी कर देते हैं। समस्या हर जगह मौजूद है। समाधान परक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि टीवी, अखबारों में जो चल रहा है किसी से छिपा नहीं है। जिले एवं छोटे क्षेत्रों में जो पत्रकारिता करते है उन्हें जो वेतन मिलता है उससे मोबाईल-पेट्रोल का खर्च भी नहीं निकलता। पत्रकारों के इन मुद्दों और इस हकीकत पर कोई बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में इज्जत और शोहरत दोनों मिलते हैं इन अवसरों का अपनी तरक्की के लिए उपयोग करें। खुद को इस तरह से बनाएं कि पत्रकार रहें या न रहें सम्मान हमेशा मिलता रहे। आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में नाम शामिल होना चाहिए। कार्यक्रम में राजेश बादल ने भी अपने विचार रखे। भोपाल जोन की जोनल कोर्डिनेटर डा रीना ने सभी पत्रकारों के घरेलू तनाव और कोरोनाकाल की चुनौतियों की चर्चा की और पत्रकारों को राजयोगा मेडीटेशन भी कराया। कार्यक्रम का मंच संचालन बीके नंदकिशोर ने किया और आभार सुनीता दीदी ने व्यक्त किया।