बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। खप्पर वाली माता मंदिर एवं शारदा मैया दरबार प्रांगण विनोबा नगर में चल रही शिव पुराण कथा के दूसरे दिन ब्रह्मा, विष्णु, महेश की कथा सुनाई गई। संगीतमय कथा में व्यासपीठ से पं. सुखदेव शर्मा ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों कौन अधिक बड़े हैं। विवाद का फैसला करने के लिए भगवान शिव को न्यायकर्ता बनाया गया। उसी समय एक अखण्ड ज्योति लिंग के रूप में प्रकट हुई तथा भगवान शिव ने कहा कि आप दोनों देव में से जो भी ज्योतिर्लिंग का आदि अंत बता देगा वही बड़े कहलाएंगे। ब्रह्मा जी ज्योतिर्लिंग को पकड़कर आदि पता करने नीचे की ओर चल पड़े और विष्णु भगवान ज्योतिर्लिंग का अंत पता करने ऊपर की ओर चल पड़े। जब काफी चलने के बाद भी ज्योतिर्लिंग का आदि अंत का पता नहीं चला, तो ब्रह्मा जी ने देखा कि एक केतकी का फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है। ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को बहला-फुसलाकर झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया और भगवान शिव के पास पहुंच गए। ब्रह्मा जी ने कहा कि मुझे ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्ना हुआ है यह पता चल गया है, लेकिन भगवान विष्णु ने कहा कि, नहीं मैं ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं जान पाया हूं। ब्रह्मा जी ने अपनी बात को सच साबित करने के लिए केतकी के फूल से गवाही दिलवाई। केतकी पुष्प ने भी ब्रह्मा के पक्ष में विष्णु को असत्य साक्ष्य दिया। लेकिन भगवान शिव ब्रह्मा जी के झूठ को जान गए। इस पर भगवान शिव प्रकट हो गये। उन्होंने असत्यभाषिणी केतकी पर क्रुद्ध होकर उसे सदा के लिए त्याग दिया। केतकी फूल ने झूठ बोला था इसलिए भगवान शिव ने इसे अपनी पूजा से वर्जित कर दिया और उसी दिन से भगवान शंकर की पूजा में केतकी पुष्प के चढ़ाने का निषेध हो गया। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी इस पृथ्वी पर कहीं भी पूजा नहीं की जाएगी। पंडित शर्मा ने बताया कि भारत में सभी भगवान के मंदिर होते हैं, पर ब्रह्मा जी के मंदिर नही है। ब्रह्मा जी का मंदिर राजस्थान के पुष्कर में ही स्थित है। जहां उनकी पूजा की जाती है। विनोबा नगर में चल रही शिव पुराण कथा में श्रद्धालु भक्ति का रसपान कर रहे हैं। संगीतमय कथा में व्यासपीठ से पं. सुखदेव शर्मा कथा का रसपान करवा रहे हैं।