नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय जवानों को आखिरकार 54 साल बाद बांग्लादेश सरकार की ओर से श्रद्धांजलि और सम्मान मिला है। मध्य प्रदेश के भिंड जिले के 12 वीर सैनिकों के घर जब भारतीय सेना के जवान सम्मान पत्र और शील्ड लेकर पहुंचे, तो परिवार वालों की आंखें भर आईं। भावुक क्षणों में किसी ने कहा - 'ऐसा लगा मानो शहीद बेटे ने खुद चिट्ठी भेजी हो।'
यह सम्मान उस युद्ध में भारतीय सेना की निर्णायक भूमिका की मान्यता के रूप में आया है, जिसमें पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को मुक्त कर बांग्लादेश का गठन हुआ था। युद्ध को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के रूप में याद किया जाता है।
दरअसल, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2017 में भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में घोषणा की थी कि वह 1971 के युद्ध में बलिदान हुए भारतीय सैनिकों के परिवारों को 'मुक्तियुद्ध सम्मान' से नवाजेंगी। उसी क्रम में दिल्ली में एक कार्यक्रम में सात परिवारों को सम्मानित किया गया था। अब यह सम्मान पत्र और शील्ड भिंड के बलिदानी परिवारों तक भी पहुंचे हैं। इन पत्रों पर 27 नवंबर 2018 की तिथि अंकित है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो गई थी, लेकिन सम्मान पहुंचने में देरी हुई।
भिंड जिला देशभर में सेना में भर्ती होने वाले जवानों के लिए जाना जाता है। 1971 के युद्ध में भिंड से 12 सैनिक बलिदान हुए थे। उन बलिदानियों में शामिल हैं - रामलखन गोयल (अकोड़ा), जय सिंह (कोट अटेर), रणवीर सिंह (मंसूरी अटेर), जनवेद सिंह (अमलेड़ी), मुलायम सिंह (पांडरी), भीकम सिंह (मेहगांव) सहित अन्य।
बलिदानी रामलखन गोयल की पत्नी लीला देवी, जो युद्ध के समय केवल 14 साल की थीं, ने भावुक होते हुए बताया, 'न पार्थिव शरीर आया, न अंतिम दर्शन हुए। अब इतने वर्षों बाद जब सैनिक सम्मान लेकर आए, तो ऐसा लगा जैसे पति का कोई संदेश मिला हो।'
बलिदानी जय सिंह की पत्नी राजेश्वरी ने कहा, 'शायद यह सम्मान देर से मिला है, पर इससे वीरों की कुर्बानी कम नहीं होती। हर बांग्लादेशी नागरिक को याद रखना चाहिए कि भारत के सैनिकों की वजह से उन्हें आजादी मिली।'
इस पत्र में बांग्लादेश सरकार की ओर से कहा गया है, '1971 का इतिहास भारतीय शहीदों और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों के खून से लिखा गया है। भारत के वीर सैनिकों ने हमारे मुक्ति संग्राम में सर्वोच्च बलिदान दिया, जिसके लिए हम सदा आभारी रहेंगे।'