
नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड। सल्फास की जहरीली गैस से दो मासूमों की मौत के बाद जिला प्रशासन सख्त हो गया है। अब जिलेभर की सभी कीटनाशक दवा दुकानों पर सघन जांच अभियान चलाया जाएगा। कृषि विभाग ने ऐसे दुकानदारों पर शिकंजा कसने के लिए 15 सदस्यीय निरीक्षण टीम गठित कर दी है। यह टीम कीटनाशक दुकानों का निरीक्षण कर यह जांचेगी कि कहीं प्रतिबंधित सल्फास की गोलियां तो नहीं बेची जा रही हैं। दरअसल, ग्वालियर के प्रीतम विहार कालोनी में सल्फास की गैस से दो बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया है। इस घटना के बाद से जिलेभर में सल्फास बेचने वालों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है।
ग्वालियर प्रीतम विहार कालोनी निवासी कृष्ण यादव के मकान में किराए से रहने वाले सतेंद्र शर्मा के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मकान मालिक ने अपने 250 क्विंटल गेहूं को घुन से बचाने के लिए करीब 50 सल्फास की गोलियां रख दी थीं। नमी के संपर्क में आते ही गोलियों से जहरीली फास्फीन गैस का रिसाव होने लगा। इसी गैस से पूरा घर भर गया, जिससे किरायेदार परिवार के चार सदस्य बेहोश हो गए।
चार वर्षीय वैभव और उसकी 15 वर्षीय बहन क्षमा की इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि माता-पिता की हालत में सुधार बताया जा रहा है। जांच में खुलासा हुआ कि मकान मालिक ने सल्फास की गोलियां गोहद स्थित पवैया बीज भंडार से खरीदी थीं। प्रशासनिक टीम ने तुरंत दुकान पर छापा मारकर उसे सील कर दिया। दुकान का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है और संचालक कमल सिंह यादव फरार है। वहीं, मकान मालिक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
कृषि विभाग के अनुसार जिलेभर में करीब 600 से अधिक कीटनाशक दवाओं की दुकानें संचालित हैं, जबकि आधिकारिक रूप से लाइसेंस केवल 300 दुकानों को ही दिया गया है। इन दुकानों को यह लाइसेंस इस शर्त पर दिया जाता है कि वे केवल स्वीकृत दवाओं की ही बिक्री करें। मगर विभागीय लापरवाही के चलते कई दुकानदार चोरी-छिपे सल्फास की गोलियां खुलेआम बेच रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2001 में केंद्र सरकार की अधिसूचना के तहत सल्फास की गोलियों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा चुका है। बावजूद इसके जिले में कई दुकानों पर यह जानलेवा रसायन चोरी-छिपे बेचा जा रहा था।
विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं में जो गोलियां रखी गई थीं, उनमें 56 प्रतिशत सल्फास की मात्रा थी, जिसे क्विक सल्फास कहा जाता है। यह फास्फीन गैस उत्पन्न करता है, जो कीटों को तो मार देता है, लेकिन इंसानों के लिए यह गैस बेहद घातक है। इसका प्रयोग केवल बड़े गोदामों और पेस्ट कंट्रोल संस्थानों को अनुमति के बाद ही किया जा सकता है। लेकिन जिले में पेस्ट कंट्रोल का एक भी लाइसेंस जारी नहीं है, जिससे यह साफ है कि सभी बिक्री अवैध रूप से हो रही थी।
जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. देवेश शर्मा ने बताया कि सल्फास का जहर अत्यंत तीव्र होता है। इसके सेवन या गैस के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में व्यक्ति की हालत बिगड़ने लगती है। एक-दो घंटे में किडनी, लीवर, आंतें और अन्य अंग नष्ट होने लगते हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार यह गैस फास्फीन उत्पन्न करती है, जो शरीर में पहुंचकर आक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करती है, जिससे व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।
घटना के बाद कलेक्टर ने कृषि विभाग को सभी दुकानों की जांच के निर्देश दिए हैं। 15 सदस्यीय निरीक्षण टीम को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे सभी दुकानों का रिकॉर्ड, बिक्री रजिस्टर और स्टॉक का सत्यापन करें। किसी भी दुकान पर सल्फास की गोली मिलने पर लाइसेंस निरस्त कर संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
भिंड जिले में संचालित कीटनाशक दुकानों पर सल्फास की बिक्री पर पूरी तरह से रोक है। कीटनाशक दुकानों का निरीक्षण कराए जाने को लेकर टीम गठित कर दी गई है। किसी भी दुकान पर सल्फास मिलने पर उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। - केके पाण्डेय, उपसंचालक कृषि विभाग भिंड।