मनोज श्रीवास्तव.नईदुनिया भिंड। संवेदनशील सिर्फ इंसान ही नहीं होते बल्कि जलीय जीव भी होते हैं। राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण में इन दिनों घड़ियाल के अंडों से बच्चे निकल रहे हैं। ऐसे में बाहरी और नदी में हर तरह के खतरे से बचाने के लिए घड़ियाल के बच्चों को झुंड में रखा जा रहा है। यह जिम्मेदारी कोई इंसान नहीं, बल्कि खुद बुजुर्ग घड़ियाल संभाल रहे हैं। नन्हें बच्चों की रखवाली के लिए बुजुर्ग घड़ियाल उनके आसपास रहते हैं।
चंबल अभ्यारण में यह नजारा हेचिंग (अंडों से बच्चे निकलने के समय) के दौरान नदी में कई जगह देखने को मिल रहा है। बच्चे नदी का तेज बहाव बर्दाश्त नहीं कर पाते:वन्य जीव कार्यकर्ता डा. मनोज जैन ने बताया कि अंडों से निकलकर घड़ियाल के बच्चे शुरुआत में नदी का तेज बहाव बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसलिए 20 दिन नदी में किनारे पर रहते हैं। किनारे पर इन्हें बाहरी और जलीय जीवों से खतरा रहता है।
ऐसे में रखवाली का जिम्मा सबसे बुजुर्ग घड़ियाल संभालते हैं। बुजुर्ग घड़ियाल बच्चों को नदी में शिकार और रहने के गुर सिखाते हैं। किनारे से रोजाना बच्चों को पीठ पर लेकर जाते हैं और नदी में कुछ दूर जाकर छोड़ देते हैं। बच्चे यहां से फिर किनारे पर आते हैं। रोज के प्रशिक्षण से बच्चे नदी के तेज बहाव में रहना सीखते हैं। छोटी-छोटी मछली इन दिनों घड़ियाल के बच्चों का भोजन बनती हैं। आमदिनों में शांत रहने वाले बड़े घड़ियाल बच्चों की रखवाली के समय काफी अलर्ट रहते हैं।
मुरैना जिले के देवरी घड़ियाल सेंटर पर घड़ियालों के अंडे एकत्रित कर नेस्टिंग की गई है। साथ ही चंबल नदी किनारे पर 20 स्थानों पर नेस्टिंग है। सर्वे के अनुसार चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या 2456 है। एक नेस्टिंग में मादा घड़ियाल 30-40 अंडे देती है। यानी 20 नेस्टिंग और देवरी घड़ियाल सेंटर की नेस्टिंग को मिलाकर 30 के औसत से अंडों से करीब 800 बच्चे निकलेंगे। इस तरह से चंबल अभ्यारण में इस बार घड़ियाल का कुनबा बढ़ जाएगा।
अभ्यारण में अभी हेचिंग का समय है। अंडों से घड़ियाल के बच्चे निकलकर झुंड में नदी किनारे पर रहते हैं। इनकी देखभाल का जिम्मा सबसे बुजुर्ग घड़ियाल संभालते हैं। यह बच्चों को शिकार करना और नदी में रहने के तौर-तरीके सिखाते हैं। हर साल घड़ियालों का कुनबा बढ़ रहा है।
भूरा रायकवाड़, एसडीओ, चंबल घड़ियाल अभ्यारण।