Bhind News: नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड: देश के नंबर 1 और प्रदेश में दो बार नंबर वन रहे जिला अस्पताल में जिला अस्पताल में बिजली कटौती या अन्य तकनीकी खराबी आने के कारण मरीजों का इलाज डाक्टर व स्टाफ मोबाइल टार्च की रोशनी में करने के लिए मजबूर हैं। वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजन ने हाथ के पंखे से हवा करनी पड़ती है। जबकि अस्पताल में 5 जनरेटर के अलावा सौर उर्जा सिस्टम लगा हुआ है। जबकि अस्पताल में पांच बड़े जनरेटर रखे हुए हैं। बावजूद बिजली जाने पर पिछले एक महीने से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल में प्रबंधन ने पर्याप्त रोशनी रहे व मरीज-डाक्टर और स्टाफ को परेशान नहीं होना पड़े इसलिए पांच बड़े जनरेटर मंगा रखे हैं। इसके अलावा करीब 20 लाख की लागत से 70 वाट का जनरेटर भी आ गया है। बावजूद बिजली सप्लाई बंद होने पर अस्पताल परिसर में अंधेरा पसर जाता है। जबकि प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में सूर्य ऊर्जा से सभी वार्डों में एलईडी लाइटें जलती हैं।
बिजली गुल होने से जिला अस्पताल के ट्रामा वार्ड, सर्जीकल वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, शिशु वार्ड, महिला और पुरुष मेडिकल वार्ड, बर्न यूनिट, स्पेशल वार्ड, आइसीयू के अलावा मेटरनिटी और मदर वार्ड में भर्ती मरीजों को काफी परेशानी होती है। सर्वाधिक परेशानी एसएनसीयू वार्ड में हुई, क्योंकि यहां नवजातों को भर्ती किया जाता है। एसएनसीयू में बेबी वार्मर मशीनें भी बंद हो जाती हैं। इसके अलावा एनआरसी में भर्ती बच्चे और अटेंडेंट को परेशानी होती है। वार्ड में भर्ती जो मरीज चलने लायक रहते हैं वह तो बाहर परिसर में आ जाते हैं, लेकिन जो चलने लायक होते हैं उन्हें मजबूरी में गर्मी में लेटना पड़ा पड़ता
जिला अस्पताल में कटौती या असमय होने वाले फाल्ट से परेशानी नहीं हो इसलिए सीएमएचओ कार्यालय के पास एक मिनी सब स्टेशन भी बना हुआ है। बाजवूद शहर मेें खासकर बैसली फीडर या वाटर वक्र्स फीडर मरम्मत या कटौती होती है तो भी जिला अस्पताल की बिजली अक्सर गुल हो जाती है। ऐसे में मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
शनिवार शाम करीब सात बजे अचानक जिला अस्पताल में बिजली पूरी तरह से गुल हो गई। इससे वार्ड अंधेरे में डूब गए। ट्रामा सेंटर में सड़क दुर्घटना व अन्य कारणों के चलते कुछ मरीज पहुंचे। स्टाफ ने रोशनी के लिए बल्व चालू करने चाहे तो वह नहीं जले। इनवर्टर और सूर्या रोशनी की सप्लाई चालू नहीं हो सकी। स्टाफ ने जनरेटर चालू करने के लिए सूचना दी। जब काफी इंतजार के बाद भी जनरेटर चालू नहीं हुआ तो स्टाफ ाके मजबूरी में मरीज इलाज मोबाइल की टार्च जलाकर करना पड़ा। स्टाफ ने मरीज को इंजेक्शन टार्च की रोशनी में लगाया। यही स्थिति अन्य वार्डों में रही।
मेरा मरीज सर्जीकल वार्ड में भर्ती है। बिजली जाते ही वार्ड में अंधेरा हो जाता है, ऊपर से गर्मी भी बेहाल कर देती है। मैं तो बाहर निकल जाती हूं, लेकिन मरीज को काफी परेशानी होती है।
सुमन देवी, अटेंडर
मैं यहां तीन दिन से से भर्ती हूं। इस दौरान कई बार बिजली कटौती होती है। जिससे वार्ड में पूरा अंधेरा पसर जाता है। साथ ही गर्मी में बेहाल हो जाते हैं। हमने घर से हाथ पंखा मंगवाया है।
केतुका बाई, मरीज ट्रामा वार्ड
मैंने अभी हाल ही में आरएमओ का चार्ज लिया है। बिजली जाने पर जनरेटर चालू कराएंगे। साथ ही जिन वार्डों जनरेटर के कनेक्शन नहीं है वहां सिविल सर्जन से चर्चा कर जुड़वाएंगे।
साकेत चौरसिया, अारएमओ जिला अस्पताल भिंड