नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड। जेल में बंद रहे युवक के चरित्र (सदाचरण) प्रमाणपत्र बनाने के एवज में तीन हजार की रिश्वत लेने के आरोपित उप जेल अधीक्षक रमेश शर्मा को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय ने चार साल कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
बता दें कि रमेश शर्मा को गुना में कार्यरत रहने के दौरान जेल में बेहतर सेवा के लिए वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित किया गया था। न्यायालय के मीडिया सेल प्रभारी प्रवीण कुमार गुप्ता ने बताया कि ग्वालियर में प्रापर्टी डीलर देशराज तोमर को पारिवारिक विवाद में हत्या के प्रयास में कोर्ट ने 11 मार्च 2016 को सात साल की सजा सुनाई थी।
देशराज ने छह माह जेल में सजा काटी। जमानत पर बाहर आकर हाईकोर्ट में अपील की। अपील के दौरान वकील ने उन्हें जेल से सदाचरण प्रमाण पत्र लाने को कहा, जिससे केस में कोर्ट से उन्हें लाभ मिल जाए। देशराज आठ दिसंबर को जिला जेल में जेलर रमेश शर्मा से मिला।
जेलर ने कहा कि आरटीआई में सदाचरण प्रमाण पत्र की जानकारी मांग लो, साथ ही तीन हजार रुपये की मांग की। देशराज ने लोकायुक्त में शिकायत के बाद उनके निवास पर उन्हें 500 रुपये दिए।
बाद में 16 दिसंबर 2016 को जेलर को शेष ढाई हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय ने मंगलवार को उन्हें चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।