Research on the causes of floods in Bhind: भिंड, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में चंबल और सिंध नदी किनारे के गांवों में बाढ़ की बर्बादी पर मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जल पुरुष राजेंद्र सिंह रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। जल पुरुष ने शुक्रवार को अपनी टीम के साथ दोनों राज्यों में करीब 400 किमी यात्रा कर बाढ़ के हालात का जायजा लिया है। उन्होंने नईदुनिया से खास बातचीत में कहा आजादी के बाद से देश में बाढ़ और सुखाड़ क्षेत्र आठ गुना बढ़े हैं। उन्होंने कहा इसके लिए बड़े बांध और इंजीनियरों की नासमझी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि वे 10 दिन में रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों को देंगे।
पानी का बहाव धीमा करने से कम खतराः जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने बताया बाढ़ और सुखाड़ दोनों मिट्टी के कटाव से होते हैं। मिट्टी का कटाव हो जाता है तो पानी का बहाव तेज गति से होता है। उन्होंने कहा हमें बाढ़ और सुखाड़ रोकना है तो तेज प्रवाह है, उसे धीमा करना होगा। पानी का प्रवाह धीमा होगा तो बाढ़ और सुखाड़ का इलाज हो जाता है। उन्होंने कहा मिट्टी का कटाव रोकने पानी के बहाव की गति को कम करना होगा। राजेंद्र सिंह ने कहा सिंध, बुंदेलखंड के इलाके को कटाव से बचाना है तो, जहां पानी दौड़ता है, उसे चलना सिखाना होगा। चलने लगे तो उसे धरती माता के पेट में बैठना सिखा दो। इससे धरती का पेट पानी से भर जाएगा। न सूखा आएगा न बाढ़ आएगी। उनके साथ जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह, सर्वोदय समाज परिषद के संयोजक मनीष राजपूत ने भी मुआयना किया।
ऐसे समझें बाढ़ और सुखाड़ क्षेत्र क्यों बढ़ेः
-जल पुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं बाढ़ और सुखा़ड़ एक ही सिक्केकी दो पहलू हैं। सुखाड़ उन इलाकों में आता है, जहां बारिश होने पर बरसात का पानी मिट्टी को काटकर बहता है। मिट्टी को साथ लेकर बहता है। मिट्टी का कटाव होने से जमीन बीहड़ बनती है। उजड़ जाती है। वहां हरियाली नहीं रहती है। हरियाली नहीं रहने से पानी धरती के पेट में नहीं जाता है। इससे सुखाड़ क्षेत्र बढ़ रहा है।
-जल पुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं बड़े बांधों से जब पानी ऊपर से बहकर आता है तो अपने साथ मिट्टी लेकर आता है। यह मिट्टी नदी के तल में बैठ जाती है। इससे नदी का तल ऊपर उठ जाता है, जहां पानी बहता था अब वहां मिट्टी हो जाती है। नदी का तल मिट्टी से भर जाता है। इससे पानी नदी के पेट में जाने के बजाए गांव और शहरों में बहनें लगता है। इससे बाढ़ आ जाती है।
बाढ़ लाता है नदियों में अवैध उत्खनन: मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर जल पुरुष ने लोगों से मुलाकात की। साथ ही पानी के बहाव के रास्तों को देखा। उन्होंने कहा कि नदियों में अवैध उत्खनन बाढ़ और सुखाड़ का बड़ा कारण है। अवैध उत्खनन पानी के बहाव में अवरोध पैदा करता है। उन्होंने कहा कि अवैध उत्खनन जहां-जहां होता है, यह बाढ़ लेकर आता है।
बाढ़ और सुखाड़ से बचने के उपायः बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में जायजा लेने के दौरान जल पुरुष ने लोगों को बाढ़ और सुखाड़ से बचने के उपाय बताए। उन्होंने कहा है कि गांव का पानी गांव मे रोकें। उन्होंने बाढ़ से बचने के लिए बारिश के पानी का एक सिद्वांत दिया है कि बारिश के दौड़ते पानी को रेंगना सिखाना है और रेंगते पानी को धरती के पेट में, जहां जरूरत हो उसे वहां बैठाने का काम करना है। साथ ही स्थानीय स्तर पर मेड़ बंधान, कच्चे चेक डैम, पक्के चेक डैम, छोटे बांध आदि संरचनाएं बनाने की जरूरत है। भूमि क्षरण रोकने के लिए पेड़ लगाना बहुत जरूरी है।
वर्जनः
भूमि कटाव होने से मिट्टी का एक टीला एक वर्ष में दो-तीन फीट घट रहा है। यह मिट्टी नदी में जा रही है। नदी का तल ऊपर होता जा रहा है। नदियों की तलहटी गाद से भर रही हैं। बड़े बांध बहुत घातक हैं। पूरी दुनिया में तमाम अध्ययन इसकी तस्दीक करते हैं बड़े बांध हमेशा अहितकारी होते हैं। बड़े बांध जितने बड़े होते हैं, उनसे उतना ही नुकसान होता है। छोटे बांध कम लागत के बांध बनाए जाना चाहिए। बड़े बांधों में ऐसी ही बड़ी बाढ़ आती है।
राजेंद्र सिंह, जल पुरुष