शिवम पाण्डेय. नईदुनिया भिंड। कभी नकल तो कभी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए बदनाम चंबल में अजब कारनामा सामने आया है। यहां के कुछ निजी स्कूलों ने 10वीं के परीक्षा फार्म में प्रति छात्र 1225 रुपये फीस बचाने के लिए अपने यहां के बच्चों को या फिर उनके माता पिता को कुष्ठ रोगी बता दिया है।
जिला शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिलेभर में करीब 450 ऐसे परीक्षा फार्म भरे गए हैं, जिन्मे कुष्ठ रोगी का विकल्प भरकर परीक्षा शुल्क में रियायत ली गई है, जबकि सरकारी आकड़ों के मुताबिक जिले में 10 वर्ष से अधिक उम्र के केवल 91 कुष्ठ रोगी ही दर्ज है। मामला संज्ञान में आने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच की बात कही है। वहीं संबंधित निजी स्कूल अब इसे फार्म भरने वाले आपरेटर की गलती बता रहे हैं।
प्रदेश में 10वीं की परीक्षा फार्म की फीस माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा 1225 निर्धारित है। वहीं कुष्ठरोगी या कुष्ठ रोगी आश्रित छात्र-छात्राओं की परीक्षा फीस माफ रहती है। ऐसे में कुछ निजी स्कूलों ने विद्यार्थियों की परीक्षा फीस हड़पने के चक्कर में उन्हें कुष्ठरोगी बताकर परीक्षा फार्म भरे हैं। बताया जाता है कि फार्म भरते समय बीमारी का सर्टीफिकेट भी अटैच करना होता है, लेकिन पोर्टल पर प्रमाण पत्र अटैच नहीं किए गए हैं।
मंडल के निर्देश अनुसार फीस में रियायत को लेकर संबंधित वर्ग में स्कूल प्राचार्य को ही रिकार्ड रखना जरूरी होता है, जिन्हें कभी भी जांच पड़ताल के दौरान दिखाना पड़ता है। उधर जिन विद्यार्थियों को कुष्ठ रोगी बताया गया है, वह बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें पता ही नहीं है कि उनके स्कूल ने परीक्षा फार्म उन्हें कुष्ठ रोगी बताकर भर दिया है, लेकिन स्कूल संचालक से विरोध दर्ज नहीं करा पा रहे हैं।
कुष्ठ रोगी बताकर फार्म भरने वाले स्कूल संचालकों से जब नईदुनिया ने बात की तो वे या तो बचते नजर आए या फिर इसे फार्म भरने वाले कंप्यूटर आपरेटर की गलती बता दी। एसवीएम स्कूल के संचालक रामकुमार दुबे का कहना था कि उनके यहां से कुष्ठ रोगी आश्रित का ही फार्म भरे गए हैं, हालाकि जब प्रमाण पत्र मांगा गया तो उन्होंने इसकी जानकारी कम्प्यूटर आपरेटर को होना बताया। जनता उमा विद्यालय के प्राचार्य हरेंद्र सिंह कुशवाह ने भी कम्प्यूटर आपरेटर का नाम लेकर पल्ला झाड़ लिया। कुछ संचालकों को कहना था कि यदि कुष्ठ रोगी नहीं होंगे तो पूरी फीस भर दी जाएगी।
जिलेभर में 10 वर्ष से अधिक वाले 91 बच्चे कुष्ठ रोगी हैं। वहीं 10 से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या महज पांच है। ऐसे में जिले में 450 परीक्षा फार्म छात्र-छात्राओं को कुष्ठ रोगी बताकर आखिर कैसे भर दिए गए।
डा एसके व्यास, जिला कुष्ठ रोगी अधिकारी
अगर निजी स्कूलों ने छात्रों को कुष्ठरोगी बताकर परीक्षा फार्म भरे हैं तो उनका रोल नंबर तो जारी हो जाएगा। ऐसे स्कूल को या तो दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे या फिर पूरी परीक्षा फीस वसूली जाएगी। ऐसे मामले को गंभीरता से दिखवाया जा रहा है।
आरडी मित्तल, जिला शिक्षा अधिकारी