
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। भू अभिलेख पोर्टल का नवीन संस्करण पूरे प्रदेश में लागू किया गया है, जिससे नागरिक अपनी भूमि का अभिलेख, डिजिटल नक्शा एवं प्रमाणित प्रतिलिपि मोबाइल एप के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। भूमि अभिलेखों के डिजिटाइजेशन का बड़ा अभियान प्रारंभ किया गया है जिसके अंतर्गत 15 करोड़ पुराने भू-अभिलेखों को डिजिटल किया जाएगा। अब तक 1.59 करोड़ स्कैनिंग पूर्ण की जा चुकी है।
यह बात राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने बुधवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार भोपाल में विभाग की दो वर्ष की उपलब्धियों एवं नवाचारों पर मीडिया से चर्चा करते हुए कही। उन्होंने आगामी तीन वर्षों की कार्ययोजना की जानकारी देते हुए कहा कि विभाग द्वारा विश्वास आधारित डायवर्जन प्रक्रिया लागू करने की योजना है।
प्रदेश के नक्शा विहीन ग्रामों का नक्शा तैयार किया जाएगा एवं भू-अर्जन प्रकरणों में संपूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा। मंत्री वर्मा ने कहा कि प्रदेश में राजस्व प्रशासन को मजबूत करने के लिए 1974 करोड़ रुपये की लागत से 324 कार्यालय भवन पूर्ण किए जा चुके हैं तथा 114 भवन प्रगतिरत हैं।
इसके अतिरिक्त 261 आवासीय भवनों को भी स्वीकृति दी गई है। विभाग को सुदृढ़ करने के लिए 5281 पटवारियों एवं 136 नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई है।
उन्होंने कहा कि साइबर तहसील के माध्यम से अब तक छह लाख 26 हजार से अधिक नामांतरण प्रकरणों का निराकरण किया गया है, जिसके लिए इसे प्रधानमंत्री उत्कृष्टता प्रमाण पत्र भी प्राप्त हुआ है।
अब तक 39 लाख 60 हजार से अधिक लोगों को स्वामित्व अधिकार पत्र वितरित किए जा चुके हैं और योजना का 94 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है।
मंत्री ने बताया कि आरसीएमएस पोर्टल के माध्यम से दो वर्षों में 41.68 लाख भू-अर्जन प्रकरणों में से 94 प्रतिशत से अधिक प्रकरणों का समय सीमा में निराकरण किया गया। वहीं वर्ष 2024-25 में 700 करोड़ रुपये के लक्ष्य के विरुद्ध 1048 करोड़ रुपये का संग्रहण किया गया है, जबकि वर्ष 2025-26 में 1000 करोड़ रुपये का संग्रहण संभावित है। मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां ड्रोन एवं जियो फेंस तकनीक का उपयोग कर त्रुटिरहित फसल गिरदावरी कराई जा रही है। वर्ष 2025-26 में अब तक बाढ़ एवं अतिवृष्टि से प्रभावित नागरिकों को दो हजार 68 करोड़ 99 लाख रुपये की सहायता राशि वितरित की जा चुकी है।